संस्कृत को भारत की आत्मा बताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि अगर हम इस अतिप्राचीन भाषा की टूटी हुई कड़ियों को जोड़ने और बहुविषयक पहल को आगे बढ़ाने का काम करते हैं तो संस्कृत में वर्तमान ज्ञान प्रणाली और भारतीय भाषाओं को समृद्ध बनाने की अद्भुत क्षमता है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि संस्कृत को दुनिया की सबसे प्राचीन जीवंत भाषाओं में से एक माना जाता है, लेकिन इस भाषा के बारे में ऐसी गलत धारणा बन गई है कि यह केवल धार्मिक श्लोकों और रीतियों से जुड़ी हुई है। ऐसी धारणा कौटिल्य, चरक, आर्यभट्ट, सुश्रुत, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य और अन्य कवियों, चिंतकों, लेखकों एवं संतों के कार्यों को नजरंदाज करने और इस महान भाषा के प्रति अन्याय है।
पंद्रहवें संस्कृत सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संस्कृत ने न केवल दुनिया को कुछ महत्वपूर्ण काव्य, ग्रंथ आदि दिये हैं बल्कि गणित, वनस्पति विज्ञान, चिकित्सा, कला और मानविकी के क्षेत्र में यह ज्ञान का खजाना है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि अगर हम इस अतिप्राचीन भाषा की टूटी हुई कड़ियों को जोड़ने और बहुविषयक पहल को आगे बढ़ाते हैं तो संस्कृत में वर्तमान ज्ञान प्रणाली और भारतीय भाषाओं को समृद्ध बनाने की अद्भुत क्षमता है। वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत को संस्कृत की देन बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सभ्यता की तरह संस्कृत किसी एक जाति, धर्म या सम्प्रदाय की भाषा नहीं है। बल्कि यह ऐसी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है जो नस्ली सोच से ऊपर उठकर खुले, सहिष्णु एवं सभी को गले लगाने के व्यापक विचार का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा में खुलापन और संयम का अद्भुत संयोग है जिसे हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार संस्कृत के विकास और प्रोत्साहन के लिए प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ और राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ को इस काम का दायित्व दिया गया है। संस्कृत भाषा को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से लचीला एवं अनौपचारिक कोर्स पेश किये गए हैं। पारंपरिक पाठशालाओं के माध्यम से व्यवसायिक शिक्षा कोर्स के रूप में संस्कृत पढ़ायी जा रही है, ताकि इसे रोजगार से जोड़ा जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मौखिक वैदिक शिक्षा को संरक्षित करने और इसका विकास करने का कार्य भी किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा के अध्ययन को प्रोत्साहित करने के लिए कई उपाय किये गए हैं। संस्कृत भाषा पढ़ाने वाले आधुनिक स्कूलों को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इस दिशा में स्वयंसेवी संस्थाओं की भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। विश्वविद्यालयों में संस्कृत विभागों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की विभिन्न योजनाओं के तहत वित्त पोषण किया जा रहा है। संस्कृत भाषा में समाचार पत्र एवं पत्रिका प्रकाशित करने वालों को भी आर्थिक मदद दी जा रही है। आधुनिक भारतीय भाषाओं के शब्दकोष के लिए संस्कृत पर निर्भरता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संस्कृत से संबंधित बेहतर अनुवाद तंत्र और कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर तैयार करने की जरूरत है।
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