सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के कारोबारी एलिस्टर परेरा को दोषी करार दिये जाने और तीन वर्ष कारावास की सजा के फैसले को बरकरार रखा है। परेरा की तेज रफ्तार कार से कुचलकर 2006 में सात लोग मारे गए थे। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति आर एम लोधा के नेतृत्व वाली पीठ ने परेरा की जमानत को रद्द कर दिया और कारावास की शेष सजा को पूरा करने का निर्देश दिया।
शीर्ष न्यायालय ने यह आदेश परेरा की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा उसे दोषी करार दिये जाने के फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दी।
12 नवंबर 2006 को मुम्बई में परेरा की तेज रफ्तार कार से कुचल कर सात लोगों की मौत हो गई थी और सात अन्य घायल हो गए थे। 25 वर्षीय परेरा ने तेज रफ्तार से चल रही टोयोटा कोरोला से सड़क के किनारे सो रहे 15 मजदूरों को कुचल दिया था। निचली अदालत ने उसे दोषी करार देते हुए छह महीने के कारावास की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के फैसले के प्रति लोगों में भारी असंतोष देखा गया और बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले की सुनवाई की।
हाईकोर्ट ने छह सितंबर 2007 को परेरा के कारावास की सजा को छह मास से बढ़ाकर तीन वर्ष कर दिया। अदालत ने उस पर 4.5 लाख रूपये का अर्थ दंड भी लगाया और उसे पीड़ितों और मृतकों के परिवार में वितरित करने का निर्देश दिया था। परेरा ने इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
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