सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसला देते हुए कहा कि विदेशी जमीन पर हुए सौदों पर भारत में टैक्स नहीं लग सकता। इसके साथ ही उसने देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन को बहुत बड़ी राहत दे दी है। कैपिटल गेंस टैक्स मामले में वोडाफोन की आज बहुत बड़ी जीत हुई है।
चीफ जस्टिस एस एच कपाडिया के नेतृत्व में कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने बहुमत से यह फैसला दिया कि टैक्स डिपार्टमेंट को इस तरह से टैक्स लेने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने 2-1 से यह फैसला दिया है और कहा कि टैक्स अधिकारी वोडाफोन से वसूले गए 2500 करोड़ रुपये 4 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटा दे। यह रकम करीब 3000 करोड़ रुपये बैठेगी। उसका कहना था कि जिस देश में यह सौदा हुआ है वहां भारत के टैक्स कानून लागू नहीं होते।
बांबे हाई कोर्ट ने वोडाफोन की याचिका जब सुनवाई के लिए ली थी तो उसने यह रकम जमा करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से वोडाफोन को 11,217 करोड़ रुपये की बचत हो गई है जो उसे भारत में इनकम टैक्स के रूप में देना पड़ता। कोर्ट का मानना है कि यह मामला टैक्स चोरी का नहीं बल्कि टैक्स प्लानिंग का है।
ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन पीएलसी ने भारत में अपनी टेलीकॉम सेवा शुरू करने के लिए हचिसन से एक सौदा विदेशी जमीन पर किया था। इस पर इनकम टैक्स अधिकारियों ने उस पर टैक्स लगाया। कंपनी ने इसका विरोध किया और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
यह फैसला इसलिए भी अहम है कि कई कंपनियों ने विदेशों में सौदे किए हैं और उन पर भी भारी भरकम टैक्स की तलवार लटकी हुई थी। लेकिन इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है कि इस तरह से बैक डोर से होने वाले सौदों से उसे काफी नुकसान होगा और उसके राजस्व में कमी होगी। इस फैसले से विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने में सहूलियत होगी। कई कंपनियां बाहर में आपसी गठबंधन करती हैं और उनके लिए यह बढ़िया खबर है।
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