सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग अनिवार्य. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 4 जनवरी 2012

सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग अनिवार्य.


आभूषणों की स्वैच्छिक हॉलमार्किंग स्कीम 2001 में शुरू की गई थी और भारतीय मानक ब्यूरो को सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग के लिए देश में एकमात्र एजेंसी के रूप में नामित किया गया । बंबई सर्राफा एसोसिएशन के मुताबिक भारत का स्वर्ण आयात चौथी तिमाही में 56 प्रतिशत गिरकर 125 टन रह गया, जिससे सालाना आयात में 8.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। वर्ष 2011 में भारत ने 878 टन सोने का आयात किया जो 2010 में 958 टन था । 

भारत मानक ब्यूरो अधिनियम, 1986 में संशोधन को मंजूरी दिए जाने के बाद हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इससे सोना सहित कई अन्य उत्‍पादों की हॉलमार्किंग अनिवार्य हो जाएगी।

फिलहाल सीमेंट, मिनरल वॉटर और दुग्ध उत्पादों सहित कुल 77 वस्तुओं पर गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हुए बीआईएस कानून के तहत अनिवार्य रूप से हॉलमार्किंग प्रमाणन लेना पड़ता है। जानकारी के अनुसार, मंत्रिमंडल की बैठक में बीआईएस कानून, 1986 में प्रस्तावित संशोधन पर भी विचार किया गया।

बीआईएस अधिनियम के अनुच्छेद 14 के तहत उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को औद्योगिक विकास एवं नियमन अधिनियम, 1951 के तहत सूचीबद्ध औद्योगिक उत्‍पादों और प्रक्रियाओं की हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने का अधिकार होता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सोने के जेवरात की हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।सरकार ने सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है। कैबिनेट की बैठक के बाद जारी बयान में यह जानकारी दी गई।


भारत दुनिया में सोने का सबसे बडा ग्राहक है, लेकिन कभी-कभी गुणवत्ता को लेकर समस्या पैदा हो जाती है विशेषकर छोटे आभूषणों के मामले में ऐसा ही होता है। इस समय सीमेंट, मिनरल वाटर और दुग्ध उत्पादों सहित करीब 77 उत्पाद भारतीय मानक ब्यूरो कानून के तहत अनिवार्य हॉलमार्किंग के जरिए प्रमाणीकृत होते हैं।

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