गुजरात दंगों की जांच करने के लिए बनाए गए विशेष जांच दल की अंतिम रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर दी गई है. इसके बाद गुलबर्ग सोसाईटी मामले की मुख्य याचिकाकर्ता ज़किया जाफ़री ने रिपोर्ट की कॉपी उन्हे दिए जाने की मांग की है. गुजरात हाई कोर्ट ने कार्यकर्ताओं की अर्ज़ी दाखिल करते हुए एसआईटी रिपोर्ट को मामले से संबंधित लोगों के बीच 13 फरवरी को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है. विशेष जांच दल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अपनी अंतिम रिपोर्ट गुजरात के मजिस्ट्रेट अदालत में दाखिल की.
अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी में पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री समेत 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले की मुख्य याचिकाकर्ता ज़किया जाफ़री का अरोप है कि उनके पति एहसान जाफ़री को ज़िंदा जला दिया गया था. ज़किया जाफ़री का कहना था कि उन्होंने मदद के लिए पुलिस और नरेन्द्र मोदी के दफ्तर को लगातार फ़ोन किए लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी. राज्य सरकार के खिलाफ़ उनकी लड़ाई पिछले दस साल से जारी है. रिपोर्ट पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने पत्रकारों से कहा, ''विशेष जांच दल ने अपना काम कर दिया है और अब हमें ये देखना है कि उसमें क्या कहा गया है.''
गुजरात दंगों के मामले में सक्रीय भूमिका रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और मुकुल सिन्हा ने भी रिपोर्ट देखने की मांग की है. मुकुल सिन्हा ने कहा है कि वो विशेष जांच दल की नई रिपोर्ट की तुलना पहले आई रिपोर्ट से करेंगे. भाजपा नेता अरूण जेटली ने कहा, ''दंगों के मामले में तीन स्तरों पर जांच हो चुकी है और अगर तीनों एक ही बात कह रहे है तो फिर मामले का अंत कर दिया जाना चाहिए. जो लोग इस मामले को जीवंत रखना चाहते है वो शर्तिया राजनीति से प्रेरित है.'' गुजरात हाई कोर्ट ने दंगों में तोड़े गए धार्मिक स्थलों की मरम्मत से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने आदेश दिया था कि दंगों में क्षतिग्रस्त हुए सभी धार्मिक स्थलों के मरम्मत का खर्च सरकार उठाए.
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