आईओए के विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) ने गुरुवार को स्पष्ट कर दिया कि भोपाल गैस कांड के लिए जिम्मेदार डाउ केमिकल्स लंदन ओलिंपिक का स्पॉन्सर बना रहेगा। हालांकि आईओसी ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की 1984 के भोपाल गैस पीड़ितों के लिए चिंता को स्वीकार किया है लेकिन साथ ही साफ किया है कि डाउ केमिकल्स का 2000 तक यूनियन कार्बाइड में कोई मालिकाना हक नहीं था।
आईओसी ने इसके साथ ही कहा कि उसका डाउ केमिकल्स के साथ पिछले 30 साल से अधिक समय से रिश्ता है और हमने जब डाउ के साथ पार्टनरशिप पर चर्चा की तो हम भोपाल कांड से वाकिफ थे।'डाउ केमिकल्स को भोपाल गैस कांड के जिम्मेदार बताया जाता है।
आईओए ने लंदन ओलिंपिक खेलों के एक स्पॉन्सर के रूप में डाउ केमिकल्स का शुरू से विरोध किया है क्योंकि यूनियन कार्बाइड का मालिकाना हक उसके पास है। यूनियन कार्बाइड भारत के सबसे दर्दनाक औद्योगिक हादसे के लिए जिम्मेदार रही है। 1984 में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के प्लांट में जहरीली गैस लीक होने से लगभग 3 हज़ार लोगों की मौत हो गई थी। बाद में यूनियन कार्बाइड को डाउ केमिकल्स ने खरीद लिया था। आईओसी का कहना है कि डाउ केमिकल्स को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
आईओए न आईओसी और लंदन ओलिंपिक खेलों की आयोजन समिति से डाउ को खेलों के स्पॉन्सर्स से हटाने का आग्रह किया था। आईओए के कार्यवाहक अध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा को भेजे गये लेटर में आईओसी प्रमुख जाक रोगे ने कहा है, 'आईओसी मानती है कि 1984 में भोपाल कांड भारत और दुनिया के लिए भयावह था। ओलिंपिक आंदोलन पीड़ितों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना रखता है।' 'आईओसी और लंदन ओलिंपिक आयोजन समिति ने जब डाउ के साथ पार्टनरशिप पर चर्चा की तो वह भोपाल कांड से वाकिफ थे। डाउ का भोपाल कांड से कोई संबंध नहीं था। डाउ का उस घटना के 16 साल बाद और भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा 470 मिलियन डॉलर के मुआवजे को मंजूरी देने के 12 साल बाद तक डाउ का यूनियन कार्बाइड में कोई मालिकाना हक नहीं था।' इस चिट्ठी पर मल्होत्रा ने कहा कि आईओए आईओसी के रवैये से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि आईओसी को हमारी भावनाओं को समझकर डाउ को स्पॉन्सर्स से हटाना चाहिए।' उन्होंने इसके साथ ही कहा कि केंद्र सरकार को इस मसले पर अपना रवैया साफ करना चाहिए।
मल्होत्रा ने कहा, 'हमें अभी सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है जबकि आईओसी ने हमें जवाब दे दिया है।' मल्होत्रा ने कहा कि जबकि डाउ केमिकल्स सरकार की जानकारी और अनुमति से भारत में अपना काम कर रहा है तब प्रायोजन मसला उठने पर उसने आईओए के पाले में गेंद फेंक दी। उन्होंने कहा, 'सरकार को इस मसले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें