राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरोप लगाया है कि दिवंगत एटीएस चीफ हेमंत करकरे पर संघ को फंसाने के लिए ऊपर से दबाव था। भागवत के मुताबिक, करकरे ने उनसे कहा था कि 'आतंकवाद मामले में पकड़े गए लोगों का संघ से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन संघ को फंसाना है। ऊपर से बहुत दबाव है।' इस कथन के हफ्ते भर बाद आतंकी हमले में उनकी मौत हो गई।
भागवत ने कहा कि 'मैं एटीएस चीफ हेमंत करकरे से मिलने मुंबई गया था। रात को हम मिले थे। तब करकरे ने यह बात कही थी।' रविवार को पटना प्रवास के दौरान भागवत ने कई अन्य मुद्दों पर बेबाक राय रखी। मुझे राजनीति नहीं आती और न ही मैंने नितिन गडकरी को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है।
लोकसभा चुनाव में हार की मायूसी थी। भाजपा में तीन-चार नामों के प्रस्ताव थे। आखिर में गडकरी का नाम बचा था। वे तैयार नहीं थे। स्वयंसेवक और एक ही क्षेत्र का निवासी होने के नाते मैंने गडकरी को जिम्मेवारी संभालने का आदेश दिया..। आडवाणीजी मेरे पिताजी के बराबर हैं। उनको मैं चलाऊं, ऐसा नहीं हो सकता। हम तो शाखा चलाने वाले लोग हैं। हमें राजनीति नहीं आती। भाजपा इतनी बड़ी पार्टी है कि कोई पर्दे के पीछे से उसे नहीं चला सकता। मेरी आशा राजनीति से नहीं समाज से है। सारे दलों के अच्छे लोग एकत्र होकर समाज की ओर से राजनीति को डील करें।
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