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सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

आयकर की छूट सीमा २ लाख हो सकती है.


अगले बजट में आम नौकरीपेशा लोगों को आयकर में कुछ राहत मिल सकती है। वित्त मंत्री आयकर छूट सीमा को मौजूदा 1.80 लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये सालाना कर सकते हैं। प्रत्यक्ष कर क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए संसद में पेश प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) में भी यही व्यवस्था की गई है। इसमें दो लाख रुपये तक की सालाना आय को करमुक्त रखने और विभिन्न कर दरों की श्रेणी में आय सीमा बढ़ाई गई है। 

केन्द्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समक्ष जिस तरह की राजकोषीय दिक्कतें इस समय हैं उन्हें देखते हुए आयकर की दरों में तो कमी के कोई आसार नजर नहीं आते हैं, लेकिन इतना जरूर है कि सरकार डीटीसी की कुछ प्रमुख सिफारिशों को आगामी बजट में सुविधानुसार शामिल कर सकती है। डीटीसी में आयकर छूट सीमा 1.8 लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये करने का प्रावधान किया गया है। डीटीसी विधेयक फिलहाल संसद की स्थायी समिति के विचाराधीन है। विधेयक में यह भी प्रस्ताव है कि 30 फीसदी व्यक्तिगत आयकर 10 लाख रुपये सालाना आय से अधिक कमाने वालों पर लगाया जाना चाहिए। इस समय यह सीमा आठ लाख रुपये है।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी मार्च मध्य में किसी समय 2012-13 का आम बजट पेश करेंगे। उच्च, मुद्रास्फीति के बीच उद्योग भी आयकर स्लैब बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। बहरहाल माना जा रहा है कि सरकार मौजूदा कर दरों को 10, 20 और 30 प्रतिशत के स्तर पर बरकरार रखेगी। सीआईआई महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने हालांकि, कहा कि उन्होंने आयकर छूट सीमा को मौजूदा 1.8 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि हमने 2.5 लाख रुपये से छह लख रुपये की सालाना आय पर 10 फीसदी, छह से 10 लाख रुपये पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से अधिक आय पर 30 फीसदी कर लगाने का सुझाव दिया है।

मौजूदा व्यवस्था में 1.80 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त है, जबकि 1.80 से पांच लाख पर 10 प्रतिशत, पांच से आठ लाख पर 20 प्रतिशत तथा आठ लाख से ऊपर की सालाना आय पर 30 प्रतिशत कर लगाया जाता है। बुजुर्गों के मामले में छूट ज्यादा है। फिक्की महासचिव राजीव कुमार ने कहा कि सरकार को लोगों को कर के दायरे में आने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। कुमार ने कहा कि राजस्व संकट के मद्देनजर संभव है कि व्यक्तिगत आयकर में कमी नहीं हो। हालांकि जरूरी है 30 फीसदी आयकर देने के लिए आय 10 लाख रुपये से ऊपर हो जबकि फिलहाल यह आठ लाख रुपये है।

ऐसोचैम के अध्यक्ष दिलिप मोदी ने कहा कि बजट में कर छूट की सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपये करनी चाहिए और 10 फीसदी कर दो लाख रुपये से पांच लाख रुपये की आय पर लगना चाहिए। कर छूट सीमा बढ़ाने की मांग करते हुए पीएचडी चेंबर की महासचिव सुष्मिता शेखर ने कहा कि खर्च करने योग्य आय में बढ़ोतरी और अर्थव्यवस्था की मांग बढ़ाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत खपत केंद्रित अर्थव्यवस्था है। आर्थिक वृद्धि में निजी क्षेत्र की खपत की भूमिका महत्वपूर्ण है। 

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