दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल को कोर्ट परिसर में सिर के बल गुलाटी मारते देख परिसर में उपस्थित लोगों को कुछ अटपटा लगा। वकीलों को जब पता चला कि यह सब अडिशनल डीसीपी के आदेश पर हो रहा है तो पटियाला हाउस कोर्ट के वकील इसके विरोध में सामने आ गए। वकीलों ने 100 नंबर पर डायल किया लेकिन जब उससे कोई फायदा नहीं हुआ तो उन्होंने जज इंचार्ज के सामने शिकायत की। फिर अदालत ने इस मामले में कार्रवाई का आदेश दिया।
वकील तरुण राणा , एस . एन . शर्मा , महेंद्र सिंह यादव और बी . बी . त्यागी का चैंबर गेट नंबर -6 ठीक सामने है। कॉन्स्टेबल दिनेश कुमार उसी गेट पर चेकिंग करता है। शिकायती वकीलों का कहना था कि करीब 11 बजे उन्होंने दिनेश को क्रोलिंग करते देखा तो कुछ ही देर में उन्हें सारा माजरा समझ में आ गया। महेंद्र यादव ने बताया कि उन्होंने अपने मोबाइल से 100 नंबर पर डायल किया। उन्हें शिकायत नंबर -112 दिया गया , कुछ देर में पीसीआर वहां पहुंची। लेकिन पुलिस वालों ने कहा कि वह कुछ नहीं कर सकते। फिर वकीलों ने इस मामले में जज इंचार्ज को शिकायत की और इसकी कॉपी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस , होम सेक्रेटरी , पुलिस कमिश्नर और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के चेयरमैन को भी भेजी।
शिकायत में कहा गया कि उन्होंने करीब 11 बजे देखा कि वर्दी में एक कॉन्स्टेबल गेट नंबर -6 से कोर्ट की ओर क्रोलिंग करते हुए जा रहा है। अडिशनल डीसीपी सेजु पी . कुरविला ने कॉन्स्टेबल दिनेश कुमार को क्रोलिंग करने के लिए कहा था। वकीलों ने जज इंचार्ज से शिकायत की और आग्रह किया कि वह मामले में दखल दें। साथ ही कॉन्स्टेबल के साथ अमानवीय हरकत की गई है और यह मानवाधिकार का उल्लंघन है। वकीलों ने कॉन्स्टेबल के क्रोलिंग करते हुए एक्शन को मोबाइल के कैमरे से रेकॉर्ड कर लिया और उस विडियो क्लिप को अदालत के सामने पेश किया।
सीनियर एडवोकेट रमेश गुप्ता ने कहा कि इस तरह से किसी को सजा नहीं दी जा सकती। यह मानवाधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट कैंपस में इस तरह की घटना हुई और वकीलों ने हिम्मत दिखाई तभी यह मामला उजागर हो पाया। वहीं को - ऑर्डिनेशन कमिटी ऑल बार असोसिएशन के सेक्रेटरी जनरल सुनील चौधरी ने बताया कि कई बार देखा गया है कि पुलिस वाले सही तरह से ड्यूटी नहीं करते और यही कारण है कि आला अधिकारी ने एक्शन लिया होगा लेकिन इस तरह से एक्शन हीं होना चाहिए क्योंकि यह मानवाधिकार के खिलाफ है। वहीं घटना के वक्त मौके पर मौजूद एडवोकेट करण सिंह ने कहा कि यह घटना अमानवीय और गैरकानूनी है। लोकतांत्रिक देश में इस तरह से किसी को सजा नहीं दी जा सकती। वहीं वकील अजय दिग्पाल ने कहा कि अगर कोई पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी के प्रति लापरवाह है तो उसके खिलाफ एक्शन होना चाहिए लेकिन इस तरह से एक्शन नहीं लिया जा सकता। यह मानवाधिकार का उल्लंघन है।
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