पिछड़े वर्ग (बीसी) की जमीन सरकार वापस करायेगी। अगर किसी गैर पिछड़े वर्ग ने किसी पिछड़े वर्ग से जमीन खरीदी है, तो उसे वापस करनी पड़ेगी। राज्य सरकार ऐसा एक प्रस्ताव तैयार कर रही है। इसके लिए भू राजस्व विभाग ने पांच जनवरी 2009 का कटऑफ डेट भी तय कर दिया है।
रजिस्ट्री की कीमत मिलेगी- पिछड़े वर्ग को अपनी जमीन वापस चाहिए, तो उसे सरकार के पास आवेदन देना होगा। आवेदन लेने के लिए सरकार कोषांग गठित कर रही है। खरीदार के लिए राहत की इतनी बात है कि जितने मूल्य पर जमीन की रजिस्ट्री खरीदारी के वक्त की गयी थी, उतनी राशि बीसी को जमीन वापस लेने के एवज में खरीदार को लौटानी होगी।
प्रस्ताव में पांच जनवरी 2009 के पहले खरीदी गयी जमीनों की वापसी के लिए कोई प्रावधान नहीं है। पक्के निर्माण करने वालों को मिलेगी राहतकट ऑफ डेट के बाद भी अगर किसी ने जमीन खरीदी है, तो उसे राहत मिल सकती है। अगर खरीदार ने उस जमीन पर पक्का निर्माण कर लिया है, तो जमीन वापस नहीं होगी। उस स्थिति में पिछड़ी जाति जमीन वापसी के लिए दावा नहीं कर सकती है। सरकार के इस निर्णय से उनको राहत मिलेगी। मांगी जानकारी भू राजस्व विभाग ने कार्मिक विभाग से पूछा है कि बीसी में कौन-कौन सी जातियां शामिल हैं। इसकी पूरी सूची उसे उपलब्ध करायी जाए। इस संबंध में कार्मिक विभाग को पत्र लिखा गया है। इसके अलावा निबंधन विभाग से जानकारी मांगी जा रही है कि कटऑफ डेट के बाद कितने मामलों में सीएनटी एक्ट का उल्लंघन हुआ है।
जिले से बाहर के किसी भी श्रेणी के खरीदार से जमीन वापस होगी’ खरीदार को मिलेगी रजिस्ट्री मूल्य की कीमत ’ कट ऑफ डेट पांच जनवरी 2009 होगा, कार्मिक विभाग से ओबीसी से सूचीबद्ध जातियों की मांगी गयी सूची’ पक्के निर्माण को छोड़ सभी पर लागू होगा प्रस्तावसरकार सीएनटी एक्ट का सख्ती से पालन कराएगी।
यदि बीसी अपनी जमीन वापसी को लेकर आवेदन देते हैं, तो उसे उसकी जमीन वापस की जाएगी। पूर्व में भी सीएनटी एक्ट में यह प्रावधान रहा है। मथुरा प्रसाद महतो, मंत्री राजस्व एवं भूमि सुधार विभागअसंवैधानिक होगा कट ऑफ डेटरांची। सीएनटी एक्ट में पिछड़े वर्ग के लोग जमीन के गलत हस्तांतरण के लिए तीन साल के अंदर दावा कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें टाइटल सूट करना पड़ता है। एक्ट में इसका प्रावधान है। लेकिन सरकार यदि एक्ट में संशोधन कर कोई कट ऑफ मार्क्स निर्धारित करती है, तो यह असंवैधानिक होगा। ऐसा विधि विशेषज्ञों का मानना है। हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता ए अल्लाम ने बताया कि सरकार विधानसभा में एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव पास कर सकती है। लेकिन यह पिछली तिथि से प्रभावित नहीं होगा।
संशोधन प्रभावी होने की तिथि से ही यह लागू होगा। अब तक हुए संशोधनों को सरकार वैध मान सकती है। लेकिन बैक डेट से कोई कट ऑफ डेट निर्धारित नहीं किया जा सकता। मामला बढ़ेगा, रैयतों को नहीं होगा लाभविधि विशेषज्ञों के अनुसार कट ऑफ डेट से कई परेशानी होगी। इसमें रैयत को उन सभी लोगों को पार्टी बनाना होगा, जिन्होंने उनकी जमीन खरीदी है। मान लें किसी जमीन पांच लोगों के बीच तीन साल की अवधि में हस्तांतरित की गयी है, तो रैयत को सभी को पार्टी बनाना होगा। टाइटल सूट लंबे समय तक चलेगा। रैयत के पक्ष में कम ही फैसला आएगा।
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