उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव इस सप्ताह संपन्न होने के बाद सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल तथा संभवत: डीजल की कीमत में 2 से 4 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो सकती हैं। तेल कंपनियों ने एक दिसंबर के बाद पेट्रोल की कीमत में संशोधन नहीं किया है। बीच में विधानसभा चुनावों के कारण दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया।
पेट्रोलियम उद्योग के विश्लेषकों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को पेट्रोल पर आयात लागत के हिसाब से करीब 4 रुपये प्रति लीटर की कमाई का नुकसान हो रहा है। पिछले बार के संशोधन के बाद से उन्हें पेट्रोल पर 900 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
एक दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 109 डॉलर बैरल थी, जो आज इस समय 125 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। एक अधिकारी ने कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद पेट्रोल की कीमत में वृद्धि की जाएगी। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि डीजल की कीमत में भी 12 मार्च से शुरू हो रहे बजट सत्र से पहले वृद्धि की जा सकती है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को प्रति लीटर डीजल पर 12.77 रुपये का नुकसान हो रहा है। केरोसीन पर यह नुकसान 30.21 रुपया प्रति लीटर तथा 14.2 किलो के घरेलू एलपीजी सिलेंडर पर 378 रुपये का नुकसान हो रहा है।
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