भारत एक आर्थिक महाशक्ति भले ही बनने जा रहा हो, लेकिन एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘सेव द चिल्ड्रन’ के एक सर्वेक्षण के मुताबिक यहां छह वर्ष तक के करीब एक चौथाई बच्चे रोज भूखे रह जाते हैं।
एनजीओ के जारी सर्वेक्षण के मुताबिक देश के करीब 30 फीसदी परिवारों को बढ़ती महंगाई के कारण अपने भोजन में कटौती करनी पड़ रही है, जबकि करीब 25 फीसदी बच्चे रोज भूखे रह जाते हैं। ‘सेव द चिल्ड्रन’ नामक संस्था ने खाद्य महंगाई और खान-पान की आदतों पर इसके असर पर पांच देशों में सर्वेक्षण किया।
एनजीओ के सीईओ जैसमिन ह्विटब्रेड ने कहा, ‘यह अचम्भित करने वाला है कि अभिभावक कह रहे हैं कि ऊंची कीमत के कारण वह बच्चे के लिए भोज्य पदार्थ नहीं खरीद पाते हैं। यह बच्चे के लिए खतरनाक है, क्योंकि कुपोषण बच्चों के लिए जानलेवा है।’ सर्वेक्षण दिसम्बर और जनवरी में नाइजीरिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, पेरू और भारत में किया गया। इसमें गांव और शहरों के 1000 से अधिक लोगों से बात की गई। उन्होंने कहा, ‘इन पांच देशों को चुनने का कारण यह है कि यहां दुनिया के आधे से अधिक कुपोषित बच्चे रहते हैं।’
भारतीय लोगों में 66 फीसदी ने कहा कि 2011 में खाद्य पदार्थों की मूल्य वृद्धि एक बड़ी चिंता रही, जबकि 17 फीसदी ने कहा कि उनके बच्चे स्कूल छोड़ कर काम पर गए, ताकि भोज्य पदार्थों की कीमत का भुगतान हो सके। देश में खाद्यान्नों की कीमत हाल में घटी है, लेकिन सब्जी, दूध, अंडे, मांस की कीमत काफी बढ़ गई है।
सर्वेक्षण के मुताबिक हर साल देश में पांच वर्ष तक के 17.2 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। इनमें से आधे से अधिक की मौत जन्म के बाद पहले ही महीने में हो जाती है। दुनिया के 187 देशों के मानव विकास सूचकांक में भारत को 134वां स्थान हासिल है। मातृत्व के लिए बेहतर 78 देशों में भारत को 73वां स्थान हासिल है। वैश्विक भूख सूचकांक के 81 देशों में भारत को 67वां स्थान हासिल है।
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