ट्रेन में सफर के लिए ई-टिकट लेने वाले पैसेंजरों के लिए प्रिंट आउट लेना तो जरूरी नहीं होगा, लेकिन उन्हें अपने पास पहचान पत्र रखना जरूरी होगा। अगर टीटीई टिकट जांचने के लिए आता है तो पैसेंजर के मोबाइल पर आया एसएमएस ही टिकट का काम करेगा।
उत्तर रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि आईआरसीटीसी और रेलवे, ई-टिकट धारक के लिए एसएमएस भेजता है। एसएमएस में ट्रेन का नंबर, पीएनआर नंबर, सफर की तारीख, सफर शुरू करने और खत्म करने के स्टेशनों के नाम के अलावा पैसेंजरों का नाम और किराए की राशि होती है। इस तरह यह जानकारी ही टिकट के बराबर मानी जाएगी।
रेलवे का कहना है कि सफर के दौरान अगर कोई रेल अधिकारी जांच करने के लिए आता है तो पैसेंजर यह एसएमएस दिखा सकते हैं। अगर पैसेंजर एसएमएस नहीं दिखा पाता लेकिन उसके पास अपना आई कार्ड है, जिससे उसकी पहचान संभव है तो उसे ट्रेन में सफर करने की इजाजत दी जाएगी लेकिन ऐसे पैसेंजर से जुर्माने के रूप में 50 रुपये वसूले जाएंगे। इस राशि के लिए रेल कर्मचारी अतिरिक्त किराया टिकट जारी करेंगे।
एसएमएस के साथ पैसेंजर के पास नौ पहचान पत्रों में से कोई एक होना चाहिए। इन नौ पहचान पत्रों में वोटर आई कार्ड, पासपोर्ट, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, केंद्र या राज्य सरकार का फोटो पहचान पत्र, मान्यता प्राप्त स्कूल या कॉलेज का आई कार्ड, राष्ट्रीयकृत बैंक की फोटो लगी पासबुक, बैंकों की ओर से जारी लेमिनेटिड फोटो वाले क्रेडिट कार्ड और आधार कार्ड शामिल हैं। साथ ही 15 फरवरी से एसी कोच में सफर करते वक्त आईडी प्रूफ रखना अनिवार्य हो जाएगा। रेलवे के नए आदेश के मुताबिक अगर एसी कोच में यात्रा कर रहे किसी शख्स ने आईडी प्रूफ नहीं दिखाया तो बिना टिकट माना जाएगा। टिकटों की बढ़ती दलाली रोकने के मकसद से रेलवे ने यह कदम उठाया है। अब तक सिर्फ तत्काल और इंटरनेट टिकटों की यात्रा में ही आईडी प्रूफ रखने का प्रावधान था। दूसरे के टिकट पर यात्रा करने की काफी शिकायतें मिलने के बाद रेल मंत्रालय के निर्देश पर रेलवे बोर्ड ने यह फैसला किया है।
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