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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

सर्वाधिक नक्सली प्रभाव झारखण्ड में.


भाजपा शासित झारखंड के नक्सल विरोधी अभियान में निष्प्रभावी होने से नाराज केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने राज्य सरकार को लताडते हुए कहा है कि माओवादी हिंसा में उल्लेखनीय बढोतरी के बावजूद उसने नक्सलियों से निपटने के कोई गंभीर प्रयास नहीं किये। 
    
राज्य के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को लिखे पत्र में चिदंबरम ने कहा कि झारखंड 2011 में नक्सल हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य रहा और प्रदेश के हालात भारी चिंता का कारण हैं। उन्होंने मुंडा से कहा कि वह नक्सलियों के खिलाफ सक्रिय अभियान के लिए पुलिस महकमे में नेतृत्व को प्रेरित करें।
    
चिंदबरम ने कहा कि 2011 में नक्सल विरोधी अभियान दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से निष्प्रभावी रहे। जब भाकपा-माओवादी द्वारा सुरक्षाबलों को मारा गया तो राज्य सरकार ने जवाबी हमले बोलने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। झारखंड नक्सल हिंसा से प्रभावित एकमात्र राज्य है, जहां 2011 में हथियार छीने जाने की सबसे अधिक घटनाएं हुईं। सूत्र के मुताबिक पत्र में कहा गया है कि भाकपा-माओवादी के शीर्ष नेता प्रशांतो बोस उर्फ किशनदा और मिसिर बेसरा राज्य में काफी अधिक सक्रिय हैं। चिदंबरम ने मुंडा से कहा कि माओवादी गतिविधियों में बढोतरी जन अदालतों की संख्या में वृद्धि के कारण हैं। 2011 में झारखंड में 53 जन अदालतें हुई जबकि 2010 में ऐसी अदालतों का आंकडा 25 था।
    
चिदंबरम ने कहा कि इन जन अदालतों के जरिए नक्सली जनता के बीच आतंक पैदा करते हैं क्योंकि इन अदालतों में नक्सलियों के फतवे की अवहेलना करने वालों को सार्वजनिक रूप से दंडित किया जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि इन अदालतों में भारी संख्या में गांव वालों की शिरकत से हालात और खराब हुए हैं। इन अदालतों में पंचायत समिति के सदस्यों का चयन भी किया गया है।
    
गृह मंत्री ने कहा कि राज्य मशीनरी ने लगता है कि जन अदालतों को रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किये। झारखंड में आम लोगों को पुलिस का मुखबिर बताकर मार दिया जाता है। 2011 में ऐसे 35 कथित पुलिस भेदियों को नक्सलियों ने मार दिया। एक अन्य जघन्य वारदात में भाकपा-माओवादी के सशस्त्र उग्रवादियों ने पश्चिम सिंहभूम जिले के कामे गांव में 30 सितंबर को बडी जन अदालत लगायी। उन्होंने गांव के मुखिया को पुलिस का मुखबिर बताया और उसे बुरी तरह पीटने के बाद उसका सिर धड से अलग कर दिया।
    
चिदंबरम ने मुंडा से कहा कि आप इस बात से सहमत होंगे कि झारखंड में कुल मिलाकर वामपंथी उग्रवाद के हालात गहरी चिन्ता का विषय हैं। राज्य पुलिस नेतृत्व को प्रेरित करने की आवश्यकता है कि वे अधिक सक्रिय कदम उठायें। उन्होंने मुंडा से यह भी कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर हालात की समीक्षा करें। साथ ही आश्वासन दिया कि केन्द्र सरकार से जो भी मदद मांगी जाती है, मुहैया करायी जाएगी।
    
पत्र में चिदंबरम ने कहा कि ऐसा पाया गया है कि भाकपा-माओवादी से जुडे संगठन और वामपंथी उग्रवादी संगठनों के समर्थक संगठन एवं लोग झारखंड बचाओ आंदोलन, तथाकथित आपरेशन ग्रीन हंट जैसे मुद्दों पर दुष्प्रचार में लिप्त हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी खबर है कि भाकपा-माओवादी ने बोकारो जिले के गोमिया में कई गांवों की उपजाउ जमीन पर कब्जा कर रखा है। इस पर माओवादियों के समर्थक खेती कर रहे हैं और पैदा होने वाले अनाज का एक तयशुदा हिस्सा नक्सलियों को जाता है।

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