लालू और जगन्नाथ ने घोटाले से किया इनकार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

लालू और जगन्नाथ ने घोटाले से किया इनकार


 बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों, लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र ने करोड़ों रुपये के चारा घोटाले से सम्बंधित एक मामले में अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से मंगलवार को इंकार किया। दोनों आरोपियों ने आरोपों से इंकार तब किया, जब वे अपने बयान दर्ज कराने रांची स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक अदालत में पेश हुए। दोनों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं। लालू और मिश्र ने मामले में संलिप्तता के आरोपों से इंकार किया और कहा कि उन्हें झूठे तरीके से फंसाया जा रहा है। दोनों ने अदालत से कहा कि सीबीआई के पास उनके खिलाफ चारा घोटाले में कोई सबूत नहीं है।

सीबीआई अदालत ने चारा घाटाले से सम्बंधित मामलों के प्रमुख आरोपियों और अन्य को दिए गए सेवा विस्तारों के सम्बंध में लालू से 25 प्रश्न पूछे और मिश्र से नौ प्रश्न पूछे। लालू प्रसाद, भारी सुरक्षा के बीच सुबह लगभग 11 बजे यहां पहुंचे। दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के बयान सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पी.के. सिंह की अदालत में दर्ज किए गए। लालू प्रसाद, चारा घोटाले से सम्बंधित 61 मामलों में से उस एक मामले (आरसी 20ए/96) में पेश हुए, जो चाईबासा जिला कोषागार से फर्जी तरीके से 37 करोड़ रुपये निकाले जाने से सम्बंधित है। इस मामले में 330 गवाह थे, और उनके बयान दर्ज हो चुके हैं।

इस घोटाले में 1996 में मामला दर्ज किया गया था। यादव और मिश्र सहित इसमें 46 आरोपी हैं। आरोपियों के बयान दर्ज करने की कार्यवाही सोमवार को शुरू हुई थी और यह बुधवार तक जारी रहेगी। सोमवार को कुल 10 आरोपियों ने अपने बयान दर्ज कराए थे। सोमवार को बयान दर्ज कराने वालों में बिहार के जहानाबाद से लोकसभा सदस्य जगदीश शर्मा, भारतीय प्रशासनिक सेवा के तीन पूर्व अधिकारी जूलियस बेक, महेंद्र प्रसाद व फूल चंद्र सिंह, तथा पशुपालन विभाग के अधिकारी के.एम. प्रसाद और एस.एन. शर्मा शामिल थे।

लालू प्रसाद और मिश्र इस घोटाले से सम्बंधित पांच मामलों में आरोपी हैं। इन मामलों की सुनवाई रांची की विभिन्न सीबीआई अदालतों में चल रही है। लालू प्रसाद को 1997 में उस समय मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था, जब उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था। इस घोटाले में कुल 61 मामले दर्ज किए गए थे और 53 मामले अलग राज्य बनने के बाद झारखण्ड स्थानांतरित कर दिए गए थे। झारखण्ड 2000 में बिहार से अलग हुआ था। रांची की विभिन्न सीबीआई अदालतें अबतक इस घोटाले से सम्बंधित 40 मामलों में फैसले सुना चुकी हैं। ज्ञात हो कि बिहार में पशुओं के चारे की खरीद के लिए सरकारी खजाने में रखे करोड़ों रुपये अधिकारियों और राजनेताओं ने सांठगांठ कर अवैध रूप से निकाल लिए थे। 1990 के दशक में यह घोटाला सुर्खियों में आया था।

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