केंद्र सरकार की 'कर्मचारी-विरोधी' नीतियों और बढ़ती महंगाई के विरोध में मंगलवार की हड़ताल में लाखों कर्मचारी भाग ले रहे है. इस हड़ताल से बैंकों, यातायात, डाकघरों और बंदरगाहों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि रेल यातायात पर इसका असर होने से संभावना नहीं है.
सूत्रों के अनुसार हड़ताल से केरल में सुबह से ही आम जीवन काफी प्रभावित हुआ है. सड़कों पर बसें नहीं चल रही हैं जबकि दुकानें भी बंद हैं. इसके इलावा बैंकों में भी हड़ताल का असर हुआ है. समाचार एजेंसी का कहना है कि उधर कोलकाता में हड़ताल का कोई खास असर नहीं दिख रहा है. इसकी वजह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चेतावनी भी हो सकती है कि काम पर न आने पर इसे कर्मचारियों की नौकरी में ब्रेक माना जाएगा. वहीं बिजली जैसी ज़रूरी चीजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार ने एस्मा लागू किया है.
कई वर्षों में पहली बार वैचारिक मतभेद को पीछे छोड़कर देश के सभी मजदूर संगठनों ने यूपीए सरकार के खिलाफ एक दिन की इस हड़ताल का ऐलान किया है. आरएसएस, वामपंथी दल, शिवसेना, मुस्लिम लीग आदि से जुड़े सभी ट्रेड यूनियन नेता एक मंच पर आए हैं और अपनी मांगों को लेकर यह हड़ताल कर रहे हैं.
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि पहली बार सभी प्रमुख 11 ट्रेड यूनियनें हड़ताल में हिस्सा ले रही है. उन्होंने कहा कि देश में वित्तीय संकट के चलते सभी ट्रेड यूनियन एक ही मंच पर आने के लिए मजबूर हो गए हैं. भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बैजनाथ राय का कहना है कि ऐसा केवल केंद्र में ही नहीं, राज्यों में भी है कि सभी श्रमिक नेता एक साथ हैं. महंगाई और कर्मचारियों की नीतियों के अलावा न्यूनतम वेतन न देना, ठेके पर नौकरी पर रखना और असंगठित मजदूरों के कानून का पालन न होना भी मांगों में शामिल है.
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