तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र चीन का हिस्सा : भारत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र चीन का हिस्सा : भारत


भारत ने बुधवार को चीन को भरोसा दिलाया कि वह तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र को चीन के हिस्से के रूप में मानता है. भारत ने भरोसा दिलाया कि वह अपनी भूमि पर चीन विरोधी गतिविधियों की अनुमति नहीं देगा. द्विपक्षीय सम्बंधों को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक भारत और चीन ने संकल्प लिया कि मजबूत रिश्ते की राह में वे विवादित मुद्दों को नहीं आने देंगे. साथ ही दोनों देशों ने वर्ष 2012 में लोगों के बीच आपसी सम्पर्क, व्यापार और आर्थिक सम्बंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का निर्णय लिया. 

चीन के तीन दिन के दौरे पर पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा ने अपने चीनी समकक्ष यांग जियेची, स्टेट काउंसलर दाई बिंगुओ और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के वरिष्ठ सदस्य झोऊ योंगकोंग से अलग से मुलाकात की. माना जाता है कि बैठक के दौरान चीनी नेताओं ने कृष्णा के साथ तिब्बत का मुद्दा उठाया. जबकि पत्रकारों से बातचीत करते हुए कृष्णा ने कहा कि बैठक में तिब्बत का मुद्दा उठा.

कृष्णा ने कहा कि अपनी बातचीत में उन्होंने तिब्बत पर भारत के रुख को दोहराया और चीनी नेताओं को भरोसा दिलाया कि चीन के आंतरिक मामलों के साथ नई दिल्ली सावधानी पूर्वक निपट रहा है. चीन की सरकार की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि तिब्बत मुद्दे पर नई दिल्ली के दृढ़ समर्थन का बीजिंग प्रशंसा करता है. बीजिंग ने कहा कि वह तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को एक अलगाववादी के रूप में देखता है और उसे संदेह है कि भारत के धर्मशाला में रहते हुए विद्रोह को हवा दे रहे हैं.

भारत ने चीन से यह स्पष्ट किया कि दलाई लामा भारत के अतिथि हैं. साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया है कि उन्हें अथवा उनके अनुयाइयों को भारत की जमीन पर चीन विरोधी गतिविधियों की इजाजत नहीं होगी. इसके अलावा दोनों देशों ने आपसी प्रगति को संतोषजनक करार देते हुए एक साथ मिलकर विकास करने की इच्छा जताई. दोनों देशों ने कहा कि विकास के क्षेत्र में व्यापक सम्भावनाएं एवं कई अवसर हैं.

बीजिंग के 'ग्रेट हॉल ऑफ पीपुल' में कृष्णा से मुलाकात के दौरान झोऊ ने कहा, 'हम प्रगति से संतुष्ट हैं. भारत और चीन की 2.5 अरब आबादी के बीच साथ मिलकर विकास की व्यापक सम्भावना एवं कई अवसर हैं.' मजबूत भारत-चीन सम्बंध पर जोर देते हुए विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा ने बुधवार को एक करोड़ डॉलर की लागत से निर्मित भारत के नए दूतावास परिसर का औपचारिक उद्घाटन किया. कृष्णा ने उद्घाटन समारोह के मौके पर कहा, 'एक आधुनिक एवं उच्च लागत वाला कार्यालय चीन के साथ सम्बंधों की हमारी उम्मीदों को स्पष्ट रूप से दर्शाता है.'

दूतावास की नई इमारत 13500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में निर्मित है और दूतावास के सभी कार्यालय इस इमारत में एक जगह आ गए हैं. इस इमारत का निर्माण भारत से मंगाए गए बालू पत्थर और अन्य सामग्रियों से किया गया है. इस नई इमारत का ढांचा आर्किटेक्ट राज रेवाल ने तैयार किया है. इस इमारत में एक सांस्कृतिक सभागार और 100 सीटों की क्षमता वाले एक प्रेक्षागृह का भी निर्माण किया गया है. इमारत में सुरक्षा की नई तकनीक भी लगाई गई है. समारोह में कृष्णा ने कहा, 'विश्व में ऐसे दो ही देश हैं जिनमें से प्रत्येक की जनसंख्या एक अरब से अधिक है और हम दोनों के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता हमारे लोगों के जीवन की गुणवत्ता को ऊपर ले जाना है. भारत-चीन का एक मजबूत आर्थिक सम्बंध इस लक्ष्य को पाने में योगदान कर सकता है.' 

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