बिहार में पिछले कुछ वर्षो से निवेश प्रस्तावों की संख्या में वृद्धि दर्ज की जा रही है। सरकार को अब आशा है कि निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए किए जा रहे कार्यो के कारण अब देश-विदेश के नामी-गिरामी निवेशक भी बिहार की ओर उन्मुख होंगे। पिछले छह वर्षो के दौरान राज्य निवेश प्रोत्साहन परिषद द्वारा कुल 603 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है तथा पिछले छह माह में निवेशकों के 117 प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई है।
एसोसिएट चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने भी बिहार में निवेशकों में बड़े-बड़े उद्योगपतियों को लाने की योजना तैयार की है। बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ओपी साह ने बताया कि औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2011 के बिहार में आने के बाद निवेशकों में राज्य के प्रति आकर्षण बढ़ा है। वह कहते हैं कि बिहार में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए लगातार बड़े शहरों और विकसित राज्यों में सेमिनार किया जा रहा है। गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली से लगातार उद्योगपतियों को लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एसोचैम के साथ मिलकर अगले पांच वर्षो में जमीनी निवेश का (रोड मैप) तैयार किया गया है तथा इन्वेस्ट मार्ट के जरिये भी निवेशकों को आमंत्रित किया जाएगा। वह कहते हैं कि बिहार में उद्योग के प्रति बना अनुकूल माहौल और स्वच्छ प्रशासन के कारण निवेशकों की भी दिलचस्पी बढ़ी है।
ओपी साह कहते हैं उद्योग लगाने में समय लगता है इस कारण जिन प्रस्तावों पर सहमति मिल रही है उसे सरजमीं पर उतारने में समय लगेगा। हालांकि सरकार का प्रयास है कि जल्द से जल्द निवेशकों की परियोजनाएं धरातल पर आ जाएं। दिल्ली में पिछले वर्ष तीन दिवसीय प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन किया गया था। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य बिहार के बदलते माहौल में प्रवासी भारतीय को निवेश के लिए आकर्षित करना एवं राज्य में अधिकाधिक पूंजी निवेश का मार्ग बनाना है। साह के मुताबिक एसोचैम ने भी बिहार में 14 क्षेत्रों में उद्योग-धंधों के विकास की अपार संभावनाएं बताई हैं। इनमें तांबे का बर्तन, खाद्य उत्पाद, गन्ना, मखाना, पेंटिंग, चमड़े के चप्पल-जूते, सिल्क हैंडलूम जैसे उद्योग प्रमुख हैं। एसोचैम की नजर में बिहार भी अब निवेश योग्य राज्य है।
बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार के सत्ता में आने के बाद निवेशकों के प्रस्तावों में तेजी आई। राज्य निवेश प्रोत्साहन परिषद के आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2011 से जून 2011 तक परिषद द्वारा 63 प्रस्तावों को सहमति मिली, जबकि जुलाई 2011 से जनवरी 2012 तक निवेशकों के 117 प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई। उद्योग विभाग के एक अधिकारी मानते हैं कि केवल निवेशकों के प्रस्ताव ही नहीं प्राप्त हो रहे हैं, बल्कि सरजमीं पर उनके उत्पादन भी शुरू हो रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक लगभग 60 से अधिक इकाइयों में उत्पादन कार्य शुरू हो गया है जबकि 120 इकाइयों में कार्य प्रगति पर है। अधिकारी बताते हैं कि इस वर्ष 50 इकाइयों में उत्पादन शुरू होने की संभावना है। वह कहते हैं कि परिषद द्वारा जिन 603 प्रस्तावों पर सहमति दी गई है, उसमें करीब तीन लाख करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है।
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