गुजरात की एक अदालत ने 2002 के दंगों पर एसआईटी की रिपोर्ट एक महीने के भीतर ज़किया जाफरी को सौंपने का निर्देश दिया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद गुलबर्ग सोसायटी दंगों में मारे गए कांग्रेसी नेता एहसान जाफरी के बेटे तनवीर जाफरी ने कहा कि इस रिपोर्ट के सामने आने से मोदी प्रशासन की सच्चाई जगजाहिर हो जाएगी. उन्होंने बताया कि एसआईटी की रिपोर्ट लगभग ५० हज़ार पन्नों की है इसीलिए अदालत ने मोदी सरकार को एक माह का समय दिया है.
एसआईटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने अहमदाबाद की निचली अदालत में याचिका दायर की थी. दंगे में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने गुजरात दंगों पर विशेष जांच दल (एसआईटी) की फाइनल रिपोर्ट की कॉपी मांगी है जिसमें कथित तौर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को क्लीनचिट दी गई है.
अहमदाबाद के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को यह फैसला करना था कि रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के मुताबिक थी या नहीं. सोमवार को सुनवाई के दौरान एसआईटी ने सामाजिक कार्यकर्ता और सह−याचिकाकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को रिपोर्ट की कॉपी दिए जाने का विरोध किया था जबकि जाकिया जाफरी को कॉपी देने का फैसला कोर्ट पर छोड़ दिया था. साथ ही एसआईटी ने केस से जुड़े सारे दस्तावेज रखने के लिए एक महीने का समय मांगा था. एसआईटी ने कहा था कि जब कोर्ट में सारे दस्तावेज सुरक्षित रखने का इंतजाम हो जाएगा तब वह रिपोर्ट से जुड़े सारे दस्तावेज़ सौंप देगी. दंगों की जांच के लिए एसआईटी का गठन सुप्रीम कोर्ट ने किया था और कहा था कि एसआईटी इस बात की जांच करे की गुजरात में 2002 में हुए दंगों के पीछे क्या कोई साजिश थी.
एसआईटी वकील ने तीस्ता व अन्य को रिपोर्ट सौंपे जाने पर ऐतराज जताया. साथ ही मुख्यमंत्री मोदी को क्लीन चिट संबंधी खबरों से पल्ला झाड़ा.एसआईटी के वकील आरएस जमुवार ने कहा कि हमने जांच पूरी कर ली है और 550 पेज की समरी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है. सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला 15 फरवरी तक सुरक्षित रख लिया था.
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