केंद्र सरकार वर्ष 2017 तक स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (डीजीपी) के 2.5 फीसदी तक ले जाएगी। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने यह जानकारी बुधवार को दी। यह फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई एक बैठक में लिया गया। बैठक अगले पांच वर्षो में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की प्राथमिकताएं तय करने के लिए बुलाई गई।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ''बैठक में फैसला लिया गया कि 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के अंत तक हमें स्वास्थ्य पर सरकार के कुल खर्च को मौजूदा 1.4 फीसदी से बढ़ाकर डीजीपी के 2.5 फीसदी तक ले जाने की दिशा में कार्य करना है। लक्ष्य हासिल करने के लिए योजना आयोग से समुचित संसाधन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया।''
बयान में आगे कहा गया है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 12वीं योजना के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र खर्च बढ़ाए जाने की जरूरत पर जोर दिया है, ताकि इस क्षेत्र को समुचित धन उपलब्ध कराया जा सके। बयान में मनमोहन सिंह के हवाले से कहा गया है, ''बढ़ाए जाने वाले खर्च को अर्थपूर्ण ढंग से आत्मसात करते हुए केंद्र और राज्यों में उचित क्षमता पैदा किए जाने की जरूरत है।'' बताया गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय सभी को विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कार्य कर रहा है। बैठक में फैसला लिया गया कि मंत्रालय सभी स्तरों पर जरूरी मानव संसाधन क्षमता को बढ़ाकर लोक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में भी कार्य करेगा।
बैठक में विशेष रूप से राष्ट्रीय वृहत् अर्थशास्त्र एवं स्वास्थ्य आयोग (एनसीएमएच) तथा योजना आयोग द्वारा गठित स्वास्थ्य सम्बंधी उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह (एचएलईजी) की सिफारिशों को लागू करने पर जोर दिया गया।
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