सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के उस बयान पर कड़ा एतराज जताया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि 26/11 हमले में शहीद हुए एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे पर मालेगांव धमाके में हिंदू संगठनों को फंसाने का दबाव था। भागवत के मुताबिक, यह बात उन्हें खुद करकरे ने शहीद होने से पांच दिन पहले बताई थी। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि भागवत का यह बयान गैर-जिम्मेदारान और गैर-जरूरी है।
मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी श्रीकांत पुरोहित की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान एनआईए के वकील ने एक राष्ट्रीय अंग्रेजी अखबार में छपे भागवत के बयान की ओर जब ध्यान दिलाया, तो अदालत ने टिप्पणी की, ' हम चकित हैं। ऐसा बयान आखिर दिया कैसे जा सकता है ? यह गैरजरूरी है और इससे कोई फायदा नहीं होगा। '
एनआईए के वकील ने कहा कि भागवत की ओर से यह बयान जानबूझकर न्यायिक कार्यवाही को प्रभावित करने के लिए दिया गया है। मालेगांव ब्लास्ट की जांच कर रही एनआईए श्रीकांत पुरोहित की जमानत याचिका का विरोध करते हुए उसे अपनी कस्टडी में देने की मांग कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने रिकॉर्ड तलब करते हुए मामले की सुनवाई अगले महीने तक के लिए स्थगित कर दी।
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