भारतीयों का नाम स्विस बैंक के सबसे बड़े जमाकर्ताओं में शामिल है, जिन्होंने कर बचाने के मकसद से 500 अरब डॉलर तक काला धन विदेश में जमा किया है। यह बात सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) प्रमुख ए.पी. सिंह ने कही। सिंह ने यह बात इंटरपोल अधिकारियों के छह दिवसीय प्रशिक्षण की शुरुतात के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि भारत मॉरीशस, स्विट्जरलैंड, लिचेंस्टीन और ब्रिटिश वर्जीन आईलैंड जैसे टैक्स हैवेन में अवैध धन के प्रवास की समस्या से प्रभावित है।
सीबीआई प्रमुख ने कहा, "अनुमान है कि भारत की लगभग 500 अरब डॉलर अवैध राशि विदेशी टैक्स हैवेन में जमा है। स्विस बैंक के सबसे बड़े जमाकर्ता के भी भारतीय होने की सूचना मिली है।" विदेश में जमा काले धन को वापस लाने में असफल रहने के कारण केंद्र सरकार को आलोचना का शिकार होना पड़ा है। अनुमान है कि विदेश में जमा भारतीय राशि 500 अरब डॉलर से 1400 अरब डॉलर तक हो सकती है, जो भारत के सलाना सकल घरेलू उत्पाद के बराबर है। सिंह ने कहा कि नाकाफी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और बैंक गोपनीयता कानून के कारण विदेश में छुपाए गए काले धन का पता लगाना तथा वापस लाना कठिन हो गया है।
सिंह ने यह भी कहा कि कुछ टैक्स हैवेन देशों को ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल सूचकांक में सबसे कम भ्रष्ट देश बताया गया है। टैक्स हैवेन में शामिल हैं न्यूजीलैंड, जो सबसे कम भ्रष्ट देशों की सूची में पहले स्थान पर है। एक अन्य देश सिंगापुर को सूची में पांचवां स्थान हासिल है, जबकि स्विट्जरलैंड को सातवां स्थान हासिल है। सिंह ने विश्व बैंक के अनुमान का भी हवाला दिया और कहा कि सीमा पार आपराधिक और कर चोरी के रूप में धन का प्रवाह लगभग 1500 अरब डॉलर का है। इसमें से 40 अरब डॉलर राशि रिश्वत की है, जो विकासशील देशों के अधिकारियों को दी गई है। उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में सिर्फ पांच अरब डॉलर राशि को वापस मूल देशों में लाया जा सका है।
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