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सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

मोबाइल का इस्तेमाल रोगी के देखभाल के लिए.


पिछले कई वर्षों में मोबाइल के इस्तेमाल और ब्रेन कैंसर के बीच संबंध पर कई तरह के विवाद उठे हैं. लेकिन इस विवाद से पूरी तरह से अलग, एक अमरीकी अध्ययन से सामने आया है कि मोबाइल का इस्तेमाल रोगी अपनी बेहतर देखभाल के लिए कर सकते हैं.

कुछ मोबाइल एप्लिकेशन्स के ज़रिए वे टेस्ट के नतीज़ों और संभावित ख़तरों के बारे में तत्काल जान सकते हैं और इलाज का ख़र्च भी घटा सकते हैं. वॉशिंगटन में जीडब्ल्यू मेडिकल फ़ैकल्टी एसोसिएट्स के डाक्टर एक अध्ययन के ज़रिए मधुमेह के रोगियों के ख़ून में ग्लूकोस की मात्रा और उच्च रक्तचाप पर नज़र रख रहे हैं. इस पूरे अध्ययन में मोबाइल फ़ोन अहम भूमिका निभा रहे हैं. इस अध्ययन में विभिन्न मोबाइल एप्लिकेशन्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. मरीज़ अपने ब्लड शूगर यानी रक्त में ग्लूकोस के टेस्ट से प्राप्त नतीजों को मोबाइल एप्लिकेशन में भर देता है जो उसे तत्काल बताता है कि उसे किसी तरह का ख़तरा तो नहीं है.  इन तकनीकों के ज़रिए गर्भवती महिलाओं, दिल के रोग के मरीज़ों और अन्य रोगियों पर भी नज़र रखी जा रही है.

इस अध्ययन में भाग ले रही डोरिस प्रायर को 16 साल से मधुमेह है और वे अपने ग्लूकोस और रक्तचाप को नियंत्रण में रखने के लिए संघर्ष करती रही हैं क्योंकि लापरवाही घातक सिद्ध हो सकती है. इस निरीक्षण और तकनीक का फ़ायदा यह है कि डॉक्टर और नर्स मोबाइल से प्राप्त इन नतीजों और आंकड़ों को इंटरनेट पर तत्काल देख सकते हैं और समस्याओं को गंभीर रूप लेने से पहले सतर्क हो सकते हैं.

अध्ययन में भाग ले रहे डॉक्टर रिचर्ड कैट्स कहते हैं, "जब आप रक्तचाप और हाईपरटेंशन पर नियंत्रण रखते हैं तो स्ट्रोक होने या दौरा पड़ने का ख़तरा घटता है, गुर्दों के फ़ेल होने, डाएलेसिस होने की संभवना घटती है. इससे जटिल समस्याओं और उनके ख़ासे ख़र्चे वाले इलाज से बचा जा सकता है. यदि रोगी इस पूरी प्रक्रिया से जुड़ा हो तो नियंत्रण बेहतर हो सकता है." इस कार्यक्रम की निदेशक त्सेगा मेस्फ़िन कहती हैं, "मैने ये प्रोग्राम ये सोचते हुए शुरु किया था कि इससे युवाओं को लाभ होगा लेकिन बुज़ुर्ग लोग इसके बारे में अधिक गंभीर है और एक बार जब वे इसका इस्तेमाल जान लेते हैं तो वे इसका गंभीरता से इस्तेमाल करते हैं और अपनी सेहत के बारे में ज़्यादा गंभीर दिखते हैं." केवल अमरीका में लगभग दो करोड़ मधुमेह से ग्रस्त हैं और आठ करोड़ को मधुमेह होने का ख़तरा है.  

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