पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने, प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी पर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने से इनकार करने पर सोमवार को अवमानना के आरोपों में अभियोग लगाया। इससे गिलानी को अपने पद से इस्तीफा देने की नौबत आ सकती है। सात जजों की बेंच ने गिलानी पर आरोप तय किए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 27 फरवरी तक स्थगित कर दी है।
59 वर्षीय गिलानी पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन पर सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का अभियोग लगाया है। गिलानी ने हालांकि खचाखच भरी अदालत में खुद को बेकसूर बताया। उन्होंने कोर्ट से जवाब देने के लिए 24 फरवरी तक का वक्त मांगा। कोर्ट ने गिलानी को 2 हफ्तों की मोहलत देते हुए 27 फरवरी तक अपने पक्ष में सारे सबूत पेश करने के लिए कहा है।
सुनवाई शुरू होने पर 7 जजों की बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस नासिर उल मुल्क ने चार्जशीट पढ़ी और प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या वह खुद पर लगाए गए आरोपों के बारे में जानते हैं और उन्हें समझते हैं। इस पर गिलानी ने जवाब दिया, 'हां, मैंने चार्जशीट पढ़ी है और उसे समझा है।' गिलानी खुद अपनी सफेद एसयूवी चला कर अपने आधिकारिक आवास से कुछ ही दूरी पर स्थित सुप्रीम कोर्ट गए। उनके साथ कई वकील थे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते गिलानी की उन्हें अवमानना मामले के सिलसिले में जारी किए गए सम्मन के विरोध में दाखिल अपील खारिज कर दी थी।
प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट उन्हें दोषी ठहराता है तो एक सांसद के तौर पर वह स्वत: ही संसद की सदस्यता के अयोग्य हो जाएंगे। आज सुबह से ही तेज बारिश हो रही थी। प्रधानमंत्री का काफिला सीधे अदालत के बाहर सड़क पर रूका। गिलानी ने कोर्ट के बाहर खड़ी भीड़ की ओर हाथ हिलाया। वहां बड़ी संख्या में सशस्त्र सुरक्षा बल तैनात थे।
अवमानना मामले में गिलानी दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और सुरक्षा के विशेष इंतजाम के तहत हवाई निगरानी के लिए एक हेलिकॉप्टर भी तैनात किया गया था। गिलानी इससे पहले 19 जनवरी को अवमानना मामले की सुनवाई में बेंच के समक्ष पेश हुए थे। उनके साथ तब उनके वकील ऐतजाज एहसन थे। सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ऐतजाज एहसन देश के नामी कानून विशेषज्ञों में से एक हैं।अवमानना मामले में दोषी पाए जाने पर गिलानी को 6 महीने की सजा हो सकती है और उन्हें 5 साल तक सार्वजनिक पद पर रहने के अयोग्य घोषित किए जाने के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ सकता है। इस पूरे घटनाक्रम के चलने पाकिस्तान में एक बार फिर राजनीतिक संकट पैदा होने की आशंका है।
गिलानी को गहरा झटका देते हुए पाकिस्तान के चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को उनकी वह अपील खारिज कर दी थी, जो उन्होंने खुद पर अवमानना संबंधी आरोप लगाए जाने के खिलाफ की थी। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के लिए बार-बार दिए गए आदेशों का पालन न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी पर अवमानना के आरोप लगाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में 19 जनवरी को अवमानना मामले की सुनवाई शुरू होने पर गिलानी खुद पेश हुए और उन्होंने कहा कि सरकार राष्ट्रपति के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग शोधन के मामले फिर से नहीं खोल सकती क्योंकि जरदारी को राष्ट्रपति होने के नाते पाकिस्तान और विदेश में ऐसे मामलों से छूट मिली हुई है। उनकी दलीलों को खारिज करते हुए गिलानी से कोर्ट ने कहा था कि उनके पास (गिलानी के पास) राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ करप्शन केस खुलवाने के लिए स्विस अधिकारियों को लेटर लिखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। गिलानी स्विस अधिकारियों को लेटर लिखे ताकि जरदारी के स्विस बैंकों में छिपाए गए काले धन के बारे में जानकारी मिल सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर स्विस अधिकारियों को लेटर लिखा जाएगा तब ही 6 करोड़ डॉलर की वह धनराशि वापस पाकिस्तान आएगी।
कोर्ट में पेश होने से पहले गिलानी कह चुके हैं कि अगर स्विटजरलैंड में जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के अपने इनकार को लेकर मामले में वह दोषी ठहराए जाते हैं तो वह इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद वह खुद ही संसद की सदस्यता के अयोग्य हो जाएंगे। अल जजीरा चैनल को दिए एक इंटरव्यू में गिलानी ने कहा था, 'निश्चित रूप से, उस स्थिति में पद छोड़ने की जरूरत नहीं होगी अगर मैं दोषी ठहराया जाता हूं। क्योंकि तब मैं संसद सदस्य भी नहीं रहूंगा।'
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