यूपी विधानसभा के लिए मतगणना में अब तक के रुझानों में समाजवादी पार्टी बहुमत के बेहद करीब नजर आ रही है। वह 192 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
शुरुआती रुझानों में समाजवादी पार्टी नंबर एक दल के रूप में बढ़ रही है। अब तक प्राप्त रुझानों में सपा 192, बसपा 101, भाजपा 48 और कांग्रेस 51 और अन्य 11 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी उमेश सिन्हा ने बताया कि राज्य विधानसभा की 403 सीटों के लिये पड़े वोटों की गिनती कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह आठ बजे शुरू हो गयी। इस चुनाव में खड़े 6839 प्रत्याशियों के चुनावी भाग्य का खुलासा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि मतगणना केन्द्रों तथा उनके आसपास सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गये हैं और इन केन्द्रों के 100 मीटर के दायरे में वाहनों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। अनेक सीटों पर बहुकोणीय मुकाबले के गवाह बने इस चुनाव में प्रमुख सियासी दलों भाजपा, बसपा, सपा, कांग्रेस तथा रालोद की प्रतिष्ठा खासतौर से दांव पर है।
चुनाव के नतीजे मुख्य रूप से बसपा मुखिया मायावती, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, उनके सांसद पुत्र अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह, पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी, केन्द्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा, श्रीप्रकाश जायसवाल, सलमान खुर्शीद, भाजपा की तेजतर्रार नेता उमा भारती, पार्टी उपाध्यक्ष कलराज मिश्र, भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही, सपा नेता आजम खां तथा शिवपाल सिंह यादव का सियासी कद तय करेंगे।
इसके अलावा भाजपा नेता केसरीनाथ त्रिपाठी, हुकुम सिंह, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी, केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद, विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर, बसपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य, राज्य के ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय तथा राष्ट्रीय लोकदल नेता जयंत चौधरी के चुनावी भाग्य का फैसला भी आज हो जाएगा।
मतगणना में यह भी तय हो जाएगा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) में हुए घोटाले के आरोपी बाबू सिंह कुशवाहा का फैक्टर उनके भाजपा में शामिल होने के बाद उसके कितना काम आया। हालांकि एग्जिट पोल सर्वेक्षण तो सपा की कामयाबी की भविष्यवाणी कर रहे हैं, लेकिन कौन पार्टी कितनी सीटें पाएगी यह तो मतगणना सम्पन्न होने के बाद ही पता लग सकेगा। चुनाव के नतीजे यह भी जाहिर करेंगे कि पिछली बार मायावती की बसपा को प्रचंड बहुमत के साथ सत्तारूढ़ करने वाला सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला इस दफा भी कारगर हुआ या नहीं।
चुनाव परिणामों से जाहिर होगा कि प्रदेश में अपनी पार्टी को सत्ता में लाने का बीड़ा उठाते हुए 14 नवम्बर 2011 से इस साल 29 फरवरी तक ताबड़तोड़ 211 जनसभाओं को सम्बोधित करने वाले कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का करिश्मा चला या नहीं। इस बार अपने अनेक दिग्गजों को मैदान में उतारने वाली भाजपा इस चुनाव में अपनी स्थिति बेहतर होने के प्रति आश्वस्त है। पार्टी को उम्मीद है कि इस बार मतदान प्रतिशत अधिक रहा है जिससे इस निर्णायक चुनाव में उसकी किस्मत चमक जाएगी। गौरतलब है कि इस बार विधानसभा चुनाव में 59.17 प्रतिशत वोट पड़े हैं जो प्रदेश के चुनावी इतिहास में अब तक का सर्वाधिक मतदान है। वर्ष 2007 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने 206 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था जबकि सपा को 97 सीटें मिली थीं, भाजपा को 51 सीटें जबकि कांग्रेस को 22 सीटें प्राप्त हुई थीं।
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