कैग के अनुसार यूपीए सरकार के राज्य में देश के कोयला खदानों का बंदरबाट कर देश के खजाने को करीब 10.7 लाख करोड़ का नुकसान किया गया है। कैग रिपोर्ट में सरकार पर आरोप है कि कुछ खास कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए बगैर नीलामी के ही टेंडर कंपनियों को दे दिए गए। यूपीए सरकार एक बार फिर देश के सामने कटघरे में खड़ी दिख रही है।
कोयला खदान के बटवारे को लेकर आई कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने साल 2004 से 2009 के बीच कोयला खदानों की बंदरबांट की। बगैर निलामी की प्रक्रिया अपनाए ही औने-पौने दाम में लाइसेंस कुछ खास कंपनियों को दे दिए गए। इससे देश के खजाने को करीब 10.7 लाख करोड़ की चपत लगी। गौरतलब है कि साल 2004-09 के बीच शिबू सोरेन कोयला मंत्री थे।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कंपनियों को फायदा पहुंचना के लिए टेंडर प्रक्रिया नहीं अपनाई। कुछ खास कंपनियों को टेंडर दे दिए गए। कैग रिपोर्ट की बातों को माने तो ये टेलीकॉम घोटाले से 6 गुना बड़ा घोटाला है। करीब 100 कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया। अन्ना की वरिष्ठ सहयोगी किरण बेदी ने कहा कि मीडिया और कैग भ्रष्टाचार का खुलासा कर रहे हैं। कोई भी मंत्रालय ऐसा नहीं है जहां घोटाला नहीं हुआ है। सरकार इसी वजह से लोकपाल बिल को नहीं लाना चाह रही है।
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