टाटा समूह के प्रमुख रतन टाटा ने कहा है कि उदारीकरण को लेकर टाटा का नजरिया शुरू में संकीर्ण था लेकिन जब भारत ने 1991 में अपनी अर्थव्यवस्था को खोला और वैश्वीकरण का रास्ता अपनाया, तो समूह ने स्वयं के रुख बदलाव किया। इस दौरान अन्य कंपनियों के मुकाबले टाटा समूह का प्रदर्शन बेहतर रहा।
सिंहभूम चैंबर और कामर्स एंड इंडस्ट्रीज (एससीसीआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में टाटा ने कहा कि हम उदारीकरण को लेकर काफी संकीर्ण थे लेकिन 1991 में बाजार को खोला गया तो हमने स्वयं में बदलाव की कोशिश की।
अपने उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री तथा टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक एच.एम. नेरूरकर की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि हालांकि खुले बाजार में हमने अन्य कंपनियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया। टाटा ने जब 1992 में कामकाज संभाला था, उस समय समूह 5 अरब डालर का था लेकिन इस साल यह 100 अरब डालर का समूह होने जा रहा है।
आदित्यपुर लघु उद्योग संगठन के अध्यक्ष आर.के. सिन्हा ने जब उनसे वाहन उपकरण स्थानीय इकाइयों से खरीदने का अनुरोध किया, टाटा ने कहा कि उपकरण पंजाब तथा गुजरात से खरीदे जा रहे हैं। इसका कारण बेहतर गुणवत्ता का होना है। उन्होंने कहा, हम आपके विकास में सहयोगी बनने को उत्सुक हैं लेकिन हम गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं कर सकते।
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