सुप्रीम कोर्ट के लाइसेंस रद्द किए जाने के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने शुक्रवार को समीक्षा याचिका दायर की। जिन आधारों पर लाइसेंस को रद्द किया गया है, उनसे केंद्र सरकार सहमत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2 फरवरी के फैसले में पहले आओ पहले पाओ के आधार पर 2008 में जारी किए गए सभी लाइसेंसों को रद्द करते हुए कहा था कि प्राकृतिक संसाधनों का इस तरह से बंटवारा किया जाना गैरकानूनी है।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि राष्ट्रीय संपदा के बंटवारे का एक मात्र तरीका नीलामी ही हो सकता है। हालांकि यह लाइसेंस के रद्द किए जाने के खिलाफ याचिका नहीं होगी, बल्कि जिस आधार पर इसे रद्द किया गया है उसके खिलाफ होगी। अपनी याचिका में केंद्र सरकार यह कहेगी कि नीति निर्माण विधायिका का काम है और न्यायपालिका इस आधार को बनाकर सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
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