सुप्रीम कोर्ट ने लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह की अगले सेना प्रमुख के पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि उसे याचिका पर सुनवाई करने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं मिला।
न्यायालय ने कहा कि याचिका खारिज किए जाने से लेफ्टिनेंट जनरल सिंह के खिलाफ लंबित कार्यवाहियों पर असर नहीं पड़ना चाहिए। केंद्र द्वारा जनरल सिंह की अगले सेना प्रमुख के पद पर नियुक्ति संबंधी फाइल पेश किए जाने के बाद न्यायालय ने उस पर विचार किया और कहा कि सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल सिंह की नियुक्ति को मंजूरी देने के पहले उन पर लगे सभी आरोपों पर गौर किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह को सेना प्रमुख नियुक्त किए जाने से संबंधी फाइल अपने समक्ष पेश करने का आदेश दिया था। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह वर्तमान में सेना की पूर्वी कमान के प्रमुख हैं और 31 मई को सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद उनका स्थान लेंगे। याचिकाकर्ताओं ने बिक्रम सिंह की सेना प्रमुख के पद पर नियुक्ति को चुनौती देते हुए अपनी जनहित याचिका में आरोप लगाया था कि लेफ्टिनेंट जनरल सिंह वर्ष 2001 में जम्मू-कश्मीर में हुई एक कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में लिप्त थे और यह मामला वहां हाईकोर्ट में लंबित है।
याचिकाकर्ताओं में वरिष्ठ पत्रकार सैम राजपा और सामाजिक कार्यकर्ता एमजी देवसहायम भी शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि लेफ्टिनेंट जनरल सिंह जब 2008 में संयुक्त राष्ट्र के शांति बहाली मिशन के हिस्से के तौर पर कांगो में पदस्थ थे तब वह यौन प्रताड़ना और बलात्कार के कथित मामलों में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहे थे। सरकार ने तीन मार्च को लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह को अगला सेना प्रमुख नियुक्त करने की घोषणा की थी।
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