महात्मा गांधी की जिस जगह हत्या हुई थी वहां उनके खून की कुछ बूंदें गिरी थीं। उस जगह से ली गई घास, मिट्टी और बापू से जुड़ी कई वस्तुएं मंगलवार को लंदन में 81 लाख रुपए में नीलाम हुई। नीलाम हुई वस्तुओं में खून लगी कुछ ब्लेड, उनका गोल रिम वाला चश्मा और हथौड़ा भी शामिल था। महात्मा गांधी की पौत्री तारा ने कहा है कि बापू से जुड़ी चीजों को नीलाम किए जाने के बजाय समुद्र में विसर्जित कर देना चाहिए था।
गांधीवादियों और कई हस्तियों ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर इस मामले में दखल देने का अनुरोध किया था, लेकिन कुछ हो नहीं सका। इसलिए अब यहां इसका विरोध तेज हो गया है। राष्ट्रपिता का सामान नीलाम होने के विरोध में गिरिराज किशोर ने पद्मश्री सम्मान वापस करने के लिए राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। प्रतिभा पाटिल को लिखे पात्र में किशोर ने कहा कि सरकार इस नीलामी को रोक नहीं सकी, लिहाजा अब उनके पास सम्मान लौटाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है। गिरिराज किशोर ने गांधी जी के जीवन के एक हिस्से पर आधारित उपन्यास 'पहला गिरमिटिया' लिखा जिसके लिए उन्हें अपार प्रशंसा मिली।
बापू की यादगार वस्तुओं की नीलामी अपेक्षा से दोगुनी से ज्यादा दाम में हुई। मिट्टी और घास को लकड़ी के एक छोटे से बक्से में कांच लगाकर रखा गया था। इन वस्तुओं को एक पतर के साथ पीपी नांबियार ने सहेज कर रखा था। 24 सितंबर 1996 को लिखे गए इस पत्र में कहा गया, 'जिस स्थान पर 30 जनवरी, 1948 को हमारे राष्ट्रपिता एमके गांधी की गोली मारकर हत्या की गई थी। मैंने उसी पवित्र स्थल से मिट्टी का कुछ अवशेष और यह घास एकत्र की है।'इस नीलामी में शामिल चश्मा बापू ने 1890 में खरीदा था। जब वे लंदन में कानून की पढ़ाई कर रहे थे। यह मूल रूप से एच केनम ऑप्टिशियन, 23 एल्डेट स्ट्रीट, ग्लाउसेस्टर द्वारा तैयार किया गया था। इसमें एक नरम कपड़ा भी लगा हुआ है। चरखे के बारे में बताया गया कि यह चालू अवस्था में है।
गांधी जी के खून वाली घास और मिट्टी, उनका चश्मा और उनका चरखा एक भारतीय ने खरीद ली है। समझा जा रहा है कि इसे भारत सरकार को लौटा दिया जाएगा। इन चार चीजों को खरीदने वाले ने फोन पर बोली लगाई, लेकिन उनकी पहचान नहीं बताई गई है। नीलाम करवाने वाली संस्था मुलॉक्स के एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें पूरा विश्वास है कि ये चीजें भारत लौट जाएंगी।
2 टिप्पणियां:
बापू की सोच ही
जब नीलाम हो रही है
तो सामान को सहेजने
की इच्छा क्यों इस
शाम हो रही है?
घंधी के लिए हाय हाय करने वाले फेस्बूकिये सिर्फ फेसबुक पे ही हाय हाय कर के रह गए , और गांधी कि लूटती इज्जत भी न बचा पाए ???
पिछली बार तो गाँधी कि इज्जत माल्या जैसे नशा किंग ने बचा लिया लिया था , तब शायद गाँधी कि आत्मा भी अपने आप को धिक्कारती होगी कि क्यों , अब तो नशा व्यापारी खुद अपनी लुटिया डूबा चूका है , गाँधी कि लूटती इज्जत क्या बचा पायेगा , और रही गाँधी वादी , उन्हें प्रतिकार करने के लिए खुद गांधी ने ही मना किया है, गांधी वादियों को जादा हाय हाय नहीं करना चाहिए , उनके डैडी कि "कामन " डैडी कि आत्मा को तकलीफ पहुचेगी ...
"गांधी ही मेरा बाप है "
http://kalyugeenarad.blogspot.in/2012/04/blog-post_18.html
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