सर्वोच्च न्यायालय ने ओडिशा में अगवा हुए एक विधायक के बदले नक्सल गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों की रिहाई करने से राज्य सरकार को रोकने के लिए दी गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी किए।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने दोनों सरकारों को पूर्व मेजर जनरल गगनदीप बख्शी की याचिका पर ये नोटिस जारी किए। बख्शी ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार नक्सल गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में जेल में बंद किए गए उन अभियुकतों को रिहा नहीं कर सकती, जिन्हें सुरक्षा कर्मियों ने अपनी जान पर खेलकर गिरफ्तार किया।
महाधिवक्ता रोहिंटन नरीमन ने न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार को ऐसी परिस्थितियों से निपटने के संदर्भ में दिशा-निर्देश तय करने के आदेश देने से सम्बंधित याचिकाकर्ता का अनुरोध सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि ऐसे निर्देश जनहित याचिका पर नहीं दिए जा सकते। न्यायालय ने रोहिंटन से इस मामले में सहयोग करने को कहा था। मेजर जनरल बख्शी ने कहा कि नक्सलियों के दबाव में झुकते हुए राज्य सरकार ने विवाद से बचने के लिए अभियुक्तों को जमानत पर रिहा करने की नीति बना ली है। इस पर न्यायालय ने कहा, ''क्या आप यह कहना चाहते हैं कि अदला-बदली चल रही है? हम ऐसा नहीं सोचते।''
नक्सलियों ने बुधवार को ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) के अगवा विधायक को छोड़ने के बदले अपनी मांगों की पूर्ति के लिए राज्य सरकार को दिया गया अल्टीमेटम समाप्त होने के बाद कहा था कि विधायक की किस्मत का फैसला अब 'प्रजा अदालत' में किया जाएगा।
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