भारतीय सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दलवीर भंडारी को अंतरराष्ट्रीय अदालत में जज के पद के लिए संयुक्त राष्ट्र में भारी मतों से चुना गया. बाईस साल के बाद एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र ने एक भारतीय उम्मीदवार को अन्तराष्ट्रीय अदालत के लिए चुना है.
अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के जज के एक खाली स्थान के लिए शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में चुनाव हुआ जिसमें महासभा में भारतीय उम्मीदवार जस्टिस दलवीर भंडारी को कुल 193 देशों में से 122 देशों का समर्थन मिला. और सुरक्षा परिषद में भी 13 वोट लेकर उन्हें पूर्ण बहुमत हासिल किया. जीत के लिए महासभा में 97 और सुरक्षा परिषद में 8 वोटों की ज़रूरत होती है. इस पद के लिए चुनाव में भारतीय उम्मीदवार जस्टिस दलवीर भंडारी का मुकाबला फ़िलीपींस के उम्मीदवार फ़्लोरेनटीनो फ़िलीसियानो से था. लेकिन फ़्लोरेनटीनो फ़िलीसियानो को संयुक्त राष्ट्रमहा सभा में सिर्फ़ 58 मत ही मिले.
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय दूतावास के अधिकारी प्रकाश गुप्ता ने खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, “फ़िलीपींस ने भी इस पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा था, लेकिन हमें पूर्ण बहुमत हासिल करने में कामयाबी मिल गई और हमारे उम्मीदवार चुन लिए गए.” 31 दिसंबर 2011 से यह स्थान खाली था जब जोर्डन के जज औन शौकत अलखसानेह ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. चूंकि जस्टिस भंडारी जोर्डन के जज का कार्यकाल पूरा करेंगे इसलिए अब इस पद पर वह सिर्फ़ छह साल तक यानी फ़रवरी 2018 तक रहेंगे. आम तौर पर जज को 9 साल के लिए चुना जाता है. इससे पहले आखिरी बार 1988-90 में भारत के पूर्व चीफ़ जस्टिस आर एस पाठक को भी इस पद पर नियुक्त किया गया था.
जस्टिस दलवीर भंडारी को अंतर्राष्ट्रीय अदालत के जज के चुनाव के लिए भारत सरकार की ओर से नामांकन को लेकर उस समय विवाद पैदा हो गया था जब भारतीय सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके मांग की गई थी कि उनका नामांकन रदद कर दिया जाए. कानून के एक छात्र द्वारा दायर इस जनहित याचिका मे कहा गया था कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस भंडारी एक जज हैं और इसलिए सरकार द्वारा उनके चुनाव के लिए प्रचार किए जाने के कारण भारतीय न्यायिक व्यवस्था की निषपक्षता पर सवाल खड़े होते हैं. इस मुकददमे की पैरवी भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ़ चल रही अन्ना हज़ारे की मुहिम की टीम के एक अहम सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण कर रहे थे.
जस्टिस भंडारी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के जज के तौर पर चुने जाने के एक दिन पहले ही गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों अलतमास कबीर, जे चेलमेश्वर और रंजन गोगोई की खंडपीठ ने जस्टिस भंडारी का नामांकन रदद करने से इंकार कर दिया था. खंडपीठ का कहना था कि जजों की अंतर्राष्ट्रीय नियुक्तियों के लिए अलग से नियम बने हुए हैं और वह नहीं समझते कि जस्टिस भंडारी की अंतर्राष्ट्रीय नियुक्ति से जनहित का मामला कहां से बनता है.
65 वर्षीय जस्टिस दलवीर भंडारी भारतीय सुप्रीम कोर्ट में सन 2005 से जज के पद पर आसीन हैं. औऱ इस साल सितंबर महीने में वह रिटायर होंगे. उससे पहले उन्होंने करीब 23 साल तक वकील की हैसियत से जोधपुर और दिल्ली हाई कोर्टों में भी काम किया था. भारत में पढ़ाई करने के बाद जस्टिस दलवीर भंडारी ने अमरीका की शिकागो स्थित नार्थवेस्टन विश्वविद्यालय से कानून में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की. जस्टिस दलवीर भंडारी को अंतर्राष्ट्रीय कानून का काफ़ी अनुभव है. पर्यावरण और मानवाधिकार जैसे मुद्दों से संबंधित कानून पर भी उनको महारत हासिल है. इसके अलावा जसटिस दलवीर भंडारी कई अंतर्राष्ट्रीय कानून संस्थाओं के सदस्य भी हैं. इससे पहले 1950 में भारत के सर बेनेगल राव, 1970-80 में डॉ नगेंद्र सिंह और 1988-90 में भारत के पूर्व चीफ़ जस्टिस आर एस पाठक को भी इस पद पर नियुक्त किया जा चुका है.
हॉलैंड में स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में एक जज का कार्यकाल नौ साल का होता है. यह अदालत विश्व के विभिन्न देशों द्वारा उसके समक्ष लाए गए मुकद्दमों का अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत निपटारा करती है. और इसके अलावा कई मामलों में संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं को कानूनी सलाह भी देती है. संयुक्त राष्ट्र के इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस या अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में कुल 15 जज होते हैं. और इनमें से तीन जज अफ़्रीका से और तीन जज एशिया के अलावा दो जज लातीनी अमरीका और दो पूर्वी यूरोप से और पाँच पश्चिम यूरोप और अन्य इलाकों से होते हैं.
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