समस्तीपुर के एक वकील को गलत मुकदमे में फंसाने और उनकी गिरफ्तारी के विरोध में दो मई को राज्यभर के वकील अदालतों का बहिष्कार करेंगे। इस दिन वकील अदालती कार्य नहीं करेंगे।
रविवार को बिहार राज्य बार काउंसिल की हुई बैठक में समस्तीपुर के डीएम कुन्दन कुमार, डीडीसी दीपक आनन्द और संबंधित पुलिस अधिकारियों को वहां से तुरंत हटाने एवं पीड़ित अधिवक्ता को दस लाख रुपए मुआवजा देने की मांग राज्य सरकार से की गई।
काउंसिल के सचिव के अनुसार जब तक इन अधिकारियों के तबादले नहीं होंगे, तब तक समस्तीपुर के अधिवक्ता न्यायिक कार्यो का बहिष्कार जारी रखेंगे। काउंसिल ने घटना की जांच किसी रिटायर्ड जज से कराने और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष एवं बिहार बार काउंसिल के सदस्य वरीय अधिवक्ता सूरज नारायण प्रसाद सिन्हा के नेतृत्व में 11 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन भी किया गया।
कमेटी दो मई को समस्तीपुर जाकर घटना की जांच अपने स्तर पर करेगी और जांच रिपोर्ट काउंसिल को सौंपेगी। कमेटी में बार काउंसिल के सदस्य शामिल हैं। डीएम के जनता दरबार में जब एक व्यक्ति ने आवेदन दिया, तो उससे पूछा गया कि इसे किसने तैयार किया है। उसने बताया कि एक वकील साहब से तैयार करवाया है। तब डीएम ने सवाल किया कि उसने वकील को इस काम के लिए कितने पैसे दिए? उस व्यक्ति ने बताया कि 30 रुपये बतौर फीस दी है।
इसी के बाद डीएम और डीडीसी ने वकील को बुलवाकर पुलिस से गिरफ्तार करा दिया और रातभर हाजत में बंदकर दिया। बाद में रिहा किया गया। वहां के वकील तभी से अदालत का बहिष्कार कर रहे हैं। अब बार काउंसिल ने भी कड़ा रुख अपनाया है। पटना हाईकोर्ट के तीन अधिवक्ता संघों की समन्वय समिति के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता योगेशचन्द्र वर्मा ने बताया कि बार काउंसिल के निर्णय के आलोक में दो मई को हाईकोर्ट में भी न्यायिक कार्य ठप रहेगा। बार काउंसिल ने कहा है कि राज्य सरकार अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं करेगी, तो अगली बैठक में अगली रणनीति पर विचार कर निर्णय लिया जाएगा।
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