मशहूर कलाकार जोहरा सहगल 100 साल की हो गई हैं. ज़ोहरा सहगल का जन्म 27 अप्रैल, 1912 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ था. भारतीय सिनेमा की लाडली कहलाने वाली जोहरा के जीवन की यादें भी उतनी ही रंगीन हैं, जितना की भारतीय सिनेमा. फिल्म उद्योग के अनुभवी लोगों का भी यही कहना है कि जोहरा का जीवन, ज्ञान और आकर्षण के प्रति उत्साह लगातार नई पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा, इसका कोई मुकाबला नहीं है. ज़ोहरा हम दिल दे चुके सनम, दिल से और चीनी कम जैसी कई फिल्मी में आईं। वह अंतिम बार संजय लीला भंसाली की सांवरिया में नजर आई थीं।
वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनपीएफ)-लाडली मीडिया अवार्डस ने उन्हें 'सदी की लाडली' के रूप में नामित किया था. अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाली जोहरा फिलहाल दिल्ली में अपनी बेटी और मशहूर ओडिशी नर्तकी किरण सहगल के साथ रहती हैं. 1994 में उन्हें कैंसर होने का पता चला, लेकिन उन्होंने इस जानलेवा बीमारी का बहादूरी से सामना किया.
युवा अवस्था में जोहरा नृत्य को लेकर खासी उत्साही थी. सिनेमा के साथ भी उनका रिश्ता 1935 में नृत्य के कारण उदय शंकर के सम्पर्क में आने के बाद जुड़ा और उन्होंने उनके साथ कई वर्षो तक काम किया. उदय शंकर के डांस ट्रूप के साथ उन्होंने जापान, मिस्र, यूरोप और अमेरिका सहित कई देशों में अपनी प्रस्तुतियां दीं. बाद में वह कई वर्षों तक ब्रिटेन में रहीं और अंग्रेजी फिल्मों में भी काम किया. बाद में वह अलमोरा में नृत्य की अध्यापक बनकर चली गई, जहां उनकी मुलाकात पेंटर और नर्तक कमलेश्वर सहगल से हुई. दोनों ने शादी कर ली.
जोहरा को विशेष रूप से 'भाजी ऑन द बीच' (1992), 'हम दिल दे चुके सनम' (1999), 'बेंड इट लाइक बेकहम' (2002), 'दिल से..'(1998) और 'चीनी कम' (2007) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय के लिए जाना जाता है. इसके अलावा वह पहली ऐसी भारतीय हैं, जिसने सबसे पहले अंतर्राष्ट्रीय मंच का अनुभव किया. उन्होंने 1960 के दशक के मध्य में रूडयार्ड किपलिंग की 'द रेस्कयू ऑफ प्लूफ्लेस' में काम किया. 1990 के दशक में लंदन से भारत लौटने से पहले जोहरा ने 'द ज्वेल इन द क्राउन', 'माय ब्यूटीफुल लाउंडेरेटे', 'तंदूरी नाइट्स' और 'नेवर से डाइ' जैसे टेलीविजन कार्यक्रमों में भी काम किया.
जोहरा पुरस्कारों के मामले में भी अभिनेत्री किसी से पीछे नहीं हैं. उन्हें 1998 में पद्मश्री, 2001 में कालीदास सम्मान, 2004 में संगीत नाटक अकादमी और 2010 में पद्म विभूषण से नवाजा गया. जोहरा सहगल की बहन उजरा बंटवारे के बाद पाकिस्तान चली गई थीं. इसके बाद 40 सालों तक दोनों बहनें नहीं मिल पाईं. आखिरकार 1980 के दशक में दोनों बहनों की मुलाकात दिल्ली में हुई. ली मेरिडियन होटल की संचालक हरजीत कौर चरनजीत सिंह ने ‘एक थी नानी’नामक एक नाटक में इन दोनों बहनों को एक मंच पर लाने के लिए अथक प्रयास किया था.
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