बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में सत्ता में वापसी पर राज्य में 'रामायण परिपथ' बनाने का वादा किया था। गठबंधन सरकार अब इसी घोषणा पत्र को ध्यान में रखते हुए बिहार में मर्यादा पुरुषोत्तम राम एवं सीता से संबंधित स्थानों को जोड़ने के लिए 'रामायण परिपथ' विकसित करने की तैयारी में है। सरकार का उद्देश्य रामायण परिपथ विकसित कर पर्यटकों को इन स्थानों पर आकर्षित करना है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिंदुओं के आराध्य भगवान राम का बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र से प्रगाढ़ नाता था। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने भगवान राम के जन्म स्थान अयोध्या और बिहार में उनकी ससुराल मिथिला सहित विभिन्न स्थानों को जोड़ने वाले रामायण परिपथ का खाका तैयार किया है। इसकी शुरुआत हरेश्वर स्थान से हो गई है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सीतामढ़ी जिले में स्थित हरेश्वर स्थान पर ही राजा जनक ने हल चलाया था और यहां से सटे पुरौना धाम में जमीन से सीता प्रकट हुई थीं। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी की मानें तो हरेश्वर स्थान को विकसित करने के लिए राज्य सरकार ने धन भी आवंटित कर दिया है। इसके अलावा भगवान राम की बारात अयोध्या से चलकर पंपाकर में ठहरी थी। इसे भी 'रामायण परिपथ' में शामिल किया जाएगा।
राज्य सरकार ने प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में वर्णित जिन स्थानों से भगवान राम की बारात गुजरी थी, उन सभी को विकसित करने की योजना बनाई है। राज्य के पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू ने बताया, ''फिलहाल जनकपुर सहित राम-सीता से जुड़े सात स्थलों को 'रामायण परिपथ' से जोड़ने की योजना है।'' पर्यटन मंत्री ने बताया कि इन सभी क्षेत्रों में आवागमन एवं ठहरने के उत्तम प्रबंध कर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए आकर्षक यात्रा पैकेज उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए इन इलाकों में सड़क एवं होटलों का निर्माण किया जाएगा।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक राज्य में छपरा स्थित सरयू-गंगा संगम के अलावा बक्सर, पाटलिपुत्र (फतुहा), बसाढ़ (वैशाली), मिथिला और विशाला नगरी से भी राम-सीता का सम्बंध था। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान राम की बारात सरयू नदी के दक्षिणी तट से होते हुए सरयू-गंगा के संगम पर पहुंची थी। वर्तमान में यह स्थान छपरा के निकट डोरीगंज है। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस के बालकांड में ताड़का स्थान का जिक्र किया गया है, जो मान्यता के मुताबिक बक्सर स्थित चरित्रवन है। पिंटू के मुताबिक आज भी इन स्थलों पर पर्यटक आते हैं, लेकिन पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में यह संख्या बढ़ नहीं पा रही है।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि राज्य में बौद्ध परिपथ के तहत पटना, नालंदा, राजगीर, पावापुरी, बोधगया और केसरिया को जोड़ा गया है, जबकि जैन परिपथ के अंतर्गत नालंदा, नवादा, भोजपुर, बांका, जमुई, पटना और वैशाली आदि जिले में स्थित जैन धर्म से जुड़े स्थानों को जोड़ गया है। वह कहते हैं कि इन इलाकों में पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने से पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। सरकार ने राज्य के पौराणिक, सांस्कृतिक और एतिहासिक दृष्टि से प्रमुख स्थानों को भी विकसित करने की योजना बनाई है। इसके लिए सलाहकार भी नियुक्त किए गए हैं।
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