प्रवर्तन निदेशालय ने आदर्श घोटाले में शामिल होने के आरोप में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और 13 अन्य लोगों के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया है। ईडी का पक्ष रख रहे वकील आर वी देसाई ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत पांच मार्च को 14 लोगों के खिलाफ एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज किया गया। ये 14 लोग वही हैं जिन्हें सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में आरोपी बनाया है।
न्यायमूर्ति एस़ए़बोबड़े और मदुला भाटकर की खंडपीठ प्रवीण वाटेगांवकर और सिमप्रीत सिंह नाम के सामाजिक कार्यकर्ताओं की याचिका की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि ईडी मामला दर्ज करे और उच्च न्यायालय ईडी और सीबीआई की जांच की निगरानी करे। ईसीआईआर में लिखा गया कि आरोपियों को गैर-कानूनी तरीके से आदर्श का निर्माण करने की इजाजत मिली और बाजार मूल्य की तुलना में काफी कम कीमत पर फ्लैट खरीदे गए। आरोपियों ने विवादित संपत्ति को गैर-विवादित संपत्ति के तौर पर पेश किया। प्राथमिक तौर पर यह पीएमएलए की धारा तीन के तहत अपराध है।
ईडी जिस तरह से इस मामले से पेश आई है उसके लिए उसे बंबई उच्च न्यायालय की फटकार भी सुनने को मिली। न्यायमूर्ति बोबड़े ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में अदालत ने ईडी से कहा था कि वह पीएमएलए के प्रावधानों को अमल में लाने के बारे में एक रिपोर्ट दे। लेकिन आज भी ईडी इस मामले में रिपोर्ट देने में नाकाम रही है। पीठ ने कहा कि आप (ईडी) कहते हैं कि ईसीआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। इसलिए इस चरण में आपके सामने कुछ ऐसी सामग्री जरूर होनी चाहिए। इस सामग्री के आधार पर आपको यह बताने के काबिल होना चाहिए कि आप इस मामले में प्राथमिकी कब दर्ज करेंगे और कब आप आरोपियों को गिरफ्तार करेंगे।
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