सुप्रीम कोर्ट ने 26/11 के मुंबई आतंकी हमले में दोषी ठहराए जाने और फांसी के फैसले के खिलाफ पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब की अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस सी. के. प्रसाद की बेंच ने इस मामले में करीब ढाई महीने तक चली लंबी सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा।
सुनवाई में अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों ने इस मामले में अपनी मजबूत दलीलें दीं। मुंबई आतंकी हमले में कसाब तथा अन्य ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं, जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई थी। बहस के दौरान कसाब ने दावा किया कि उसे स्वतंत्र और निष्पक्ष मुकदमे का अवसर नहीं दिया गया तथा वह देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की किसी बड़ी साजिश का हिस्सा नहीं है। उसने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष उसके खिलाफ संदेह से परे मामला साबित करने में विफल रहा है। उसने बेंच से कहा कि आरोपों के खिलाफ उसके अधिकार तथा मामले में वकील के जरिए अपना समुचित बचाव करने के उसके अधिकार का मुकदमे के दौरान उल्लंघन हुआ। कसाब ने जेल से दायर अपनी अपील में खुद को दोषी ठहराए जाने और मृत्युदंड को चुनौती दी है। सीनीयर ऐडवोकेट राजू रामचंद्रन को कसाब की ओर से दलील देने के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया था।
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