प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तेल के दाम बढ़ाए जाने के संकेत देते हुए कहा कि भारत ऊर्जा के मोर्चे पर ‘विकट’ स्थिति का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से देश का आयात खर्च बढ़ता जा रहा है ऐसे में घरेलू कीमतों को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है. बटिंडा में चार अरब डालर की लागत से बनी रिफाइनरी का औपचारिक उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कच्चे तेल की कुल तेल खपत में करीब 80 प्रतिशत आयात होता है ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से आयात खर्च पर भारी दबाव है.
सरकारी कंपनियों ने कच्चे तेल और दूसरी जरुरी लागतों के दाम में भारी बढ़ोतरी के बावजूद पिछले एक वर्ष से घरेलू एलपीजी और केरोसिन के दाम नहीं बढ़ाये हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें कीमतों को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है. साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि इससे गरीब और जरूरतमंद लोग प्रभावित नहीं हो. हालांकि, सरकार ने जून 2010 से पेट्रोल कीमतों के निर्धारण पर से अपना नियंत्रण हटा लिया है लेकिन सरकारी तेल कंपनियां राजनीतिक दबावों की वजह से कीमतों में बढ़ोतरी नहीं कर पा रही है. दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 65.64 रुपये है जो कि उसकी लागत से करीब नौ रुपये कम है.
डीजल, घरेलू एलपीजी और मिट्टी तेल के दाम निर्धारण पर सरकारी नियंत्रण बना हुआ है. तेल कंपनियां को मौजूदा दाम पर डीजल की बिक्री पर 16.16 रुपये, राशन में बेचे जाने वाले मिट्टी तेल पर 32.59 रुपये लीटर और 14.2 किलो के घरेलू रसोई गैस सिलेंडर पर 570.50 रुपये का नुकसान हो रहा है.
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