केंद्र सरकार की ओर से राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने या न करने के मुद्दे पर शपथ-पत्र दायर नहीं किया गया है. इससे पहले केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से दो हफ्तों का समय मागा था. उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह इस बारे में दृष्टिकोण स्पष्ट करे कि क्या राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जा सकता है.
न्यायाधीश एचएल दत्तू और न्यायाधीश एआर दवे की पीठ के समक्ष एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हरिन पी रावल ने कहा कि सरकार अपनी कोई राय नहीं रखना चाहती है. रावल की ओर से दी गई सूचना के बाद कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई अगस्त के तीसरे हफ्ते में करना तय किया. मामले पर पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रावल से कहा था कि वह इस मामले पर सरकार से निर्देश लेकर आए.
जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने याचिका दाखिल कर कहा था कि पौराणिक रामसेतु का राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर देना चाहिए. माना जाता है कि इस सेतु को भगवान श्रीराम ने लंका पहुंचने के लिए बनाया था. कई याचिकाओं में पर्यावरणीय दृष्टिकोण से इसका विरोध किया गया. इनमें से अधिकतर याचिकाओं को मद्रास उच्च न्यायालय से शीर्ष अदालत को भेजा गया था. कोर्ट ने 27 मार्च को सरकार से कहा था कि रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के मामले पर वह अपनी स्पष्ट राय बताएं. रामसेतु समुद्रम प्रोजेक्ट को लेकर मद्रास हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में कई केस किए गए हैं. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए रामसेतु को तोड़ना होगा. कई हिन्दू संगठन इसका विरोध कर रहे हैं.
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