अनुशासन समिति की शिफारिश के बाद प्रदेशभर में कांग्रेस का राजनैतिक समीकरण बिगड़ गया है। राज्य में कांग्रेस का माहौल खराब करने के पीछे अनुशासन समिति को जिम्मेदार माना जा रहा है और हाईकमान में शिकायत के चलते उत्तराखण्ड की अनुशासन समिति को प्रदेश अध्यक्ष किसी भी वक्त भंग कर सकते हैं।
राज्य में अनुशासन समिति के द्वारा बीते दिवस 35 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का निष्कासन करने के साथ-साथ करीब 100 से अधिक कांग्रेस के बड़े नेताओं से लेकर स्थानीय नेताओं को नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन इसके बाद हुए घटनाक्रम के बाद निष्कासन व नोटिसों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई थी, लेकिन इस रोक के बाद भी प्रदेश हाईकमान के साथ-साथ दिल्ली दरबार इस घटना से नाराज बताया जा रहा है और हाईकमान किसी भी वक्त प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य से उत्तराखण्ड की अनुशासन समिति को भंग करने की शिफारिश कर सकता है।
उत्तराखण्ड में सीएम पद को लेकर मचा घमासान पूरी तरह शांत हो गया था, लेकिन अचानक ही अनुशासन समिति की संस्तुतियों ने प्रदेश में बुझी आग में घी डालने का काम कर दिया। देहरादून से लेकर दिल्ली तक इस आग की लपटें ऐसी उठी कि हाईकमान को प्रदेश प्रभारी से लेकर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से भी इस मामले में स्पष्टीकरण मांग लिया गया। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रदेश में वर्तमान हालात कांग्रेस के पक्ष में नजर नहीं आ रहे अंतविरोध की आग लगातार तेजी होती जा रही है, लेकिन वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री को विधानसभा का उपचुनाव लड़ना है और ऐसे समय में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही करना उचित समय नहीं हैं। इसलिए विधानसभा उपचुनाव निपट जाने के बाद ही कार्यकर्ताओं पर जिन्होंने विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ काम किया है, उन्हें पदों से हटा देना चाहिए, लेकिन अनुशासन समिति की संस्तुतियां प्रदेश में कांग्रेस का माहौल खराब करने में कामयाब हो गई हैं और इस बात की संभावनाएं भी जताई जा रही हैं कि अनुशासन समिति की किसके इशारे पर चाबी भरी गई।
सीएम पद पर असंतोष के चलते पूर्व में ही केंद्रीय मंत्री हरीश रावत के साथ-साथ हरक सिंह रावत के समर्थक अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं और इस घटनाक्रम ने उत्तराखण्ड में कांग्रेस की ऐसी दुर्गति करा दी है कि अब प्रदेश के होने वाले चुनावों पर भी खतरे के बादल मंडराते हुए देखे जा रहे हैं। उत्तराखण्ड में कांग्रेस का राजनैतिक तापमान काफी तेज हो गया है और अब एक-दूसरे को राजनीति के मोहरे की तरह इस्तेमाल भी किया जाने लगा है। अनुशासन समिति के बाद उपजा विरोध का स्वर धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है और इसकी भनक कांग्रेस हाईकमान के साथ-साथ दिल्ली में बैठे बड़े नेताओं के कानों में भी पहुंच गई है, माना जा रहा है आने वाले कुछ दिनों में अनुशासन समिति को भंग किया जा सकता है क्योंकि समिति का इतिहास काफी विवादस्पद हो गया है और समिति किसी भी फैसलें को लेने की हिम्मत नहीं जुटा सकी है और प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच जहर घोलने का काम ही करती आई है। समिति में शामिल सदस्यों के साथ-साथ अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह भंडारी को इस समिति में रहते हुए काफी वक्त गुजर गया है और अब इस समिति में कांग्रेस के तेजतरार नेता को बैठाने की कवायद शुरू की जा रही है। इसलिए माना जा रहा है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य किसी भी वक्त प्रदेश की अनुशासन समिति को भंग कर सकते हैं।
(राजेन्द्र जोशी)
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