‘वन पंचायतों को मजबूत बनाया जाय। वन पंचायतों से संबंधित नियमावली को शीघ्र जारी किया जाय। वन गूजरों के विस्थापन संबंधी लंबित प्रकरणों का शीघ्र समाधान किया जाय। अस्कोट और गोविन्द वन्य जीव पशु विहार में स्थानीय लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए शीघ्र ही केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्री से चर्चा की जायेगी। हाथियों के संभावित मूवमेंट पर नजर रखने के लिए वन विभाग को 44 मोबाइल वैन तत्काल उपलब्ध करायी जाय। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने यह निर्देश गुरूवार को सचिवालय में वन विभाग के कार्यों की प्रगति की समीक्षा करते हुए विभागीय अधिकारियों को दिये।
मुख्यमंत्री बहुगुणा ने कहा कि राज्य का वन क्षेत्रफल 65 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि वन क्षेत्रफल में वृद्धि के लिए कार्य किये जाय। वन पंचायतों को और अधिक मजबूत किया जाय। वन पंचायतों के साथ माह मई में बैठक कराने के भी निर्देश दिये। वन पंचायतों के लंबित सेवा नियमावली को शीघ्र जारी किया जाय। आम जनता से जुड़ी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाय। वन विभाग द्वारा दिये जाने वाली मुआवजा राशि में वृद्धि करने संबंधी प्रस्तावों पर शीघ्र कार्यवाही की जाय। मुख्यमंत्री बहुगुणा ने कहा कि ईको टूरिज्म को प्रोत्साहित किया जाय। विभागीय बजट राशि को और बढ़ाया जाय, ताकि विभागीय कार्यों के संपादन में धन की कमी आड़े न आये। कैम्पा योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाय। इसके लिए समय से प्रस्ताव भेजे जाय। वन्य जीवों पर निगरानी रखने के लिए 44 मोबाइल वाहन तत्काल अधिकारियों को उपलब्ध कराये जाय। मुख्यमंत्री ने सिविल एवं सोयम भूमि से संबंधित प्रकरणों को शीघ्र निपटाया जाय। उन्होंने कहा कि वन भूमि अधिनियम से संबंधित प्रकरणों के शीघ्र निपटारे के लिए लखनऊ स्थित कार्यालय को देहरादून में शीघ्र स्थापित करने के लिए केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्री से मिलेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्बन शोषण क्षमता के क्षेत्र में राज्य महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि कार्बन शोषण क्षमता बढ़ाने से राज्य की आय भी बढ़ेगी, जो लोगों के लिए लाभदायक होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि अस्कोट तथा गोविन्द वन्य जीव पशु विहार में निवास कर रहे स्थानीय निवासियों की समस्याओं के संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार शासन को भेजे, ताकि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री से चर्चा की जा सके। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की रोक थाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना तैयार की जाय। साथ ही संवेदनशील स्थलों पर टास्क फोर्स गठित की जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड फारेस्ट डेवलपमेंट कारपोरेशन को सक्रिय किया जाय। इसके तहत ईको टूरिज्म आधारित गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाय।
बैठक में प्रमुख वन संरक्षक डॉ. आर.बी.एस.रावत ने कहा कि वन संरक्षण कार्य में महत्वपूर्ण योगदान के लिए केन्द्रीय योजना आयोग द्वारा प्रथम श्रेणी में रखा गया है। पूरे देश उत्तराखण्ड का वन क्षेत्र 1.6 प्रतिशत है, जबकि कार्बन शोषण क्षमता में 7 प्रतिशत का योगदान दे रहा है, जो वन क्षेत्र की अपेक्षा चार गुना है। विभाग द्वारा अब तक 300 लाख मानव दिवस सृजित कर रोजगार के अवसर दिये गये है। 230 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया है। राज्य में 6 ईको टास्क फोर्स का गठन किया गया है। बाघों के संरक्षण में कार्य करते हुए बाघों की संख्या बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 200 महिला नर्सरियां स्थापित की गई है। वन सड़कों को सुदृढ किया गया है। बैठक में प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री उत्पल कुमार सिंह, प्रमुख सचिव नियोजन एम.रामास्वामी, प्रमुख वन संरक्षक वन्य जन्तु एस.एस.शर्मा, प्रबंध निदेशक वन विकास निगम श्रीकांत चंदोला, प्रमुख वन संरक्षक परियोजना बीना शेखरी सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
(राजेन्द्र जोशी)
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