केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि संसद में राजनीतिक स्वार्थ राष्ट्रीय हित पर हावी हो रहे हैं। सिब्बल ने यह बात संसद में कई महत्वपूर्ण शिक्षा विधेयकों के लम्बित होने के मद्देनजर कही।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सिब्बल ने कहा, ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति यदि हो तो सबकुछ हो जाएगा..भारत को सशक्त बनाने के हितों पर सत्ता में बने रहने के राजनीतिक दलों के स्वार्थ हावी हो रहे हैं।’ केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश में विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसर खोलने से सम्बंधित उन्हें नियंत्रित करने वाला विधेयक, उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान पर राष्ट्रीय आयोग (एनसीएचईआर) के गठन के लिए एक विधेयक और शैक्षिक कदाचार पर रोक लगाने से सम्बंधित विधेयक सहित कई शिक्षा विधेयक संसद के समक्ष लम्बित हैं।
सिब्बल बताया कि 14 से अधिक विधेयकों के मसौदे लम्बित हैं और इनमें से ज्यादातर मसौदों को स्थायी समिति की मंजूरी मिल चुकी है। सिब्बल ने कहा कि विधेयक तैयार करने में मुझे एक वर्ष का समय लगा और विधेयक दो वर्षों से संसद में लम्बित है। यह तब है जब स्थायी समिति ने इसे अपनी मंजूरी दे दी है। इस स्थायी समिति में सभी राजनीतिक दलों के सदस्य हैं..और समिति के 80 से 90 प्रतिशत सुझावों को स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘शिक्षा एवं स्वास्थ्य को राजनीतिक एजेंडे से अवश्य ऊपर रखा जाना चाहिए।’ सिब्बल ने कहा कि उच्च शिक्षा की जरूरतों को देखते हुए इन विधेयकों को पारित करना जरूरी है। इन विधेयकों के पारित होने से विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों का खुलने का रास्ता साफ होगा और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। सिब्बल ने शिक्षा में निजी क्षेत्र की भागीदारी पर भी जोर दिया।
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