15 अगस्त को पद्मश्री लौटाऐंगे जगूड़ी व कौशल! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 4 मई 2012

15 अगस्त को पद्मश्री लौटाऐंगे जगूड़ी व कौशल!

गंगा संत समाज की जागीर नहीं: लीलाधर


उत्तराखण्ड की जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर देशभर में मचे बवाल के बाद अब पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी व रूलक के अध्यक्ष अवधेश कौशल ने अपना पद्मश्री लौटाने का निर्णय लिया है। उनके इस निर्णय को संत समाज का खुलकर विरोध किए जाने की तरह इशारा कर रहा है। उत्तराखण्ड में जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर जीड़ी अग्रवाल कई बार अनशन कर चुके हैं, जिसके बाद केंद्र सरकार उत्तराखण्ड में चलाई जा रही जलविद्युत परियोजनाओं पर ब्रेक लगा चुकी है, लेकिन जिस तरह से संत समाज को लेकर आज रूलक के कार्यालय में टिप्पणी की गई है वह संत समाज में उबाल ला सकती है। 

पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने ऐलान किया है कि यदि जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर संत समाज की बात मानी जाती है तो वह आगामी 15 अगस्त को अपना पद्मश्री वापस लौटा देंगे। उनका यह भी कहना है कि वह उत्तराखण्ड की धरती में संत पैदा नहीं होने देंगे और जो संत हरिद्वार में बैठकर गंगा व समाज में अतिक्रमण कर रहे हैं उन्हें किसी भी दशा में यह कदम नहीं उठाने दिया जाएगा और हरिद्वार में संतो के आश्रम जो गंगा के घाट पर बनाए गए हैं उन्हें प्रदूषण मुक्त करने के साथ-साथ उनकी सीवरेज की भी जांच की जानी चाहिए। क्यांेकि हरिद्वार में सैकड़ों आश्रम गंगा में मल-मूत्र को फैलाकर स्वंय गंगा को दूषित कर रहे हैं और गंगा को लेकर जनता के बीच अंधविश्वास फैलाते नजर आ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संत समाज सामाजिक सेवा नहीं करते, लेकिन इसके बाद भी समाज के भीतर अंधविश्वास को फैलाकर अपनी राजनैतिक रोटियां सेक रहे हैं जबकि संत समाज का कर्त्वय होना चाहिए कि वह विकास को अवरूद्ध करने के बजाए विकास में भागीदारी निभाएं। 

संत समाज पर की गई टिप्पणी के बाद हरिद्वार के साधू संत खुलकर विरोध में खड़े हुए भी नजर आ रहे हैं और जिस तरह से संत समाज को गंगा की जागीर बताने की बातंे कहीं गई है, उससे इस मामले में राजनैतिक सरगर्मियां भी तेज हो सकती हैं। उत्तराखण्ड की जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर हरिद्वार का संत समाज खासा नाराज बताया जा रहा है और उन साधू संतों को आरोप है कि गंगा को इन जलविद्युत परियोजनाओं से दूषित किया जा रहा है और गौमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा को पूरी तरह दूषित कर दिया गया है। 

गंगा पर की जा रही राजनीति को लेकर इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं और पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी के साथ-साथ एस. राजन तोड़रिया का यह कहना कि गंगा पर विरोध विदेशी ताकतों के सहारे किया जा रहा है और पूरा आंदोलन वहीं से संचालित कर उत्तराखण्ड में उग्रवाद को फैलाने जैसी बातें कही जा रही हैं। उनका यह भी कहना है कि राज्य की आर्थिक विकास दर के लिए पन बिजली, खनन व शराब से ही विकास की बातें की जा रही हैं, लेकिन समय रहते प्रदेश भर में शराब को बढ़ावा देने वाली ताकतों को कमजोर नहीं किया गया तो उत्तराखण्ड की युवा पीढ़ी के साथ-साथ प्रदेश का विकास व राज्य देवभूमि की बजाए नर्कभूमि बन जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हिमालय की सुरक्षा पर पुर्नविचार किया जाना चाहिए और पर्यावरणविद आज पर्यावरणवादी बने हुए हैं और इसी के सहारे उनका आजीवीका का साधन भी इसे बना दिया गया है। कुछ लोग पर्यावरण के नाम पर अपनी दुकानें चला रहे हैं और इन्हीं के इशारों पर प्रदेशभर में आंदोलन को हवा दी जा रही है। उन्होंने कहा वनों के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है और रूकी हुई पावर प्रोजेक्ट योजनाओं को यदि शीघ्र ही शुरू नहीं किया गया तो प्रदेश में उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन की तरह एक नए आंदोलन को शुरू किया जाएगा। 


(राजेन्द्र जोशी)

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