सरकार ने गुरुवार को बताया कि अक्तूबर 2011 से मार्च 2012 के दौरान कुल 19 पायलटों को उड़ान पूर्व चिकित्सा जांच के दौरान नशे में पाया गया. नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने राज्यसभा को बताया कि पिछले तीन साल के दौरान एयरलाइनों के विमानों में 57 पायलट नशे में पाए गए. वर्ष 2009 में 17 पायलट नशे में पाए गए जबकि 2010 और 2011 में ऐसे पायलटों की संख्या कमश: 23 और 17 थी.
सिंह ने नंद कुमार साय के प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि अक्तूबर 2011 से मार्च 2012 के दौरान कुल 19 पायलटों को उड़ान पूर्व चिकित्सा जांच के दौरान पॉजिटिव पाया गया था. उन्होंने ईश्वर सिंह और एन के सिंह के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने नशे में पाए गए पायलटों को सजा देने के लिए एक नयी नीति कार्यान्वित की है. इसके तहत उड़ान पूर्व चिकित्सकीय जांच में पायलट के पहली बार एल्कोहल जांच में पॉजिटिव पाए जाने पर तीन माह और दूसरी बार में पांच साल के लिए लाइसेंस निलंबित किए जाने का प्रावधान है. उन्होंने बताया कि एयर इंडिया ने ट्रेनिंग कैप्टन का दर्जा हटा दिया है जिसमें चेक पायलट, जांचकर्ता और पायलटों के निर्देशक शामिल होते हैं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें