केंद्र सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए उस पर करीब 6600 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है । पेट्रोलियम मंत्रालय ने बुधवार को देर शाम रिलायंस इंडस्ट्रीज को नोटिस भेजा। नोटिस में कहा गया है कि कंपनी ने प्रॉडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट (पीएससी) का उल्लंघन किया है। कंपनी ने मंजूरीशुदा प्लान में जितने कुएं खोदने का वादा किया था, जान-बूझकर उससे कम कुएं खोदे। कंपनी का कहना है कि प्रॉडक्शन में कमी की वजह अप्रत्याशित भूगर्भीय दिक्कतें हैं। आंकड़ों से यह साबित हुआ है कि ज्यादा कुएं खोदने का कोई फायदा नहीं होगा। कंपनी की इस दलील को पेट्रोलियम मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है।
मंत्रालय ने कड़े शब्दों वाले इस नोटिस में लिखा है, 'आपको बताया जा रहा है कि आप पीएससी की अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने में नाकाम रहे हैं और आपने यह काम जानबूझकर किया है, जिससे सरकार और देश की जनता का बहुत नुकसान हुआ है। आपने काफी समय तक पीएससी की शर्तों के हिसाब से काम नहीं किया और बार-बार पीएससी टारगेट हासिल करने में नाकाम रहे हैं।'
पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार किया है जबकि कंपनी ने ई-मेल से पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया है। एक्सप्लोरेशन इंडस्ट्री के अधिकारियों का कहना है कि मंत्रालय के कदम से इस सेक्टर में इनवेस्टमेंट को धक्का लगेगा। ओएनजीसी और जीएसपीसी जैसी कंपनियों को रिलायंस के डी6 ब्लॉक से सटे अपने-अपने ब्लॉक में गैस फील्ड के डिवेलपमेंट भी ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज और सरकार के बीच तब से छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है, जब से जयपाल रेड्डी मुरली देवड़ा की जगह पेट्रोलियम मंत्री बने हैं। कंपनी को अप्रूवल्स मिलने में देर हो रही है। कंपनी के आला अफसरों को सरकारी अधिकारियों से मुलाकात के लिए महीनों का इंतजार करना पड़ रहा है। इसके अलावा प्रस्तावित कोल बेड मीथेन के लिए कंपनी के प्राइसिंग फॉर्मूले को लंबे समय से मंजूरी नहीं मिली है।
कंपनी पर लगे 1.235 अरब डॉलर के जुर्माने के 2 हिस्से हैं। पहला 45.7 करोड़ डॉलर का जुर्माना 2010-11 के दौरान कम प्रॉडक्शन होने, जबकि 77.8 करोड़ रुपए का दूसरा जुर्माना 2011-12 में प्रॉडक्शन और घटने की वजह से लगा है। इस फाइनैंशल ईयर में गैस प्रॉडक्शन और घटने के आसार हैं।
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