योजना आयोग उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि सस्ती वित्तीय सहायता विश्वविद्यालयों को नहीं छात्रों को दी जानी चाहिये. उन्होंने विश्वविद्यालयों द्वारा फीस बढ़ाने का समर्थन किया.
अहलूवालिया ने कहा, ‘विश्वविद्यालयों को वित्तीय मदद बंद होनी चाहिये, छात्रों को वित्तीय सहायता मिलनी चाहिये. उसके बाद उन्हें पढ़ाई के लिये जाने दीजिये, इसका फायदा होगा.’
योजना आयोग के उपाध्यक्ष उच्च शिक्षा में कारपोरेट क्षेत्र की भागीदारी के बारे में एक रिपोर्ट जारी कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘मैं विश्वविद्यालयों द्वारा फीस बढ़ाए जाने के पक्ष में हूं. छात्रों को छात्रवृत्ति मिलनी चाहिए जिससे वे उन विश्वविद्यालयों में जा सकें, जो अच्छा काम कर रहे हैं.’
अहलूवालिया ने कहा कि प्राथमिक और सेकेंडरी शिक्षा के लिए आवंटन के बाद उच्च शिक्षा के लिए सीमित संसाधन बचते हैं. ऐसे में इसमें निजी क्षेत्र के निवेश की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक संसाधन उच्च प्राथमिकता वाले और प्राथमिक और सेकेंडरी शिक्षा क्षेत्र में बढ़ने चाहिए.’ इस मौके पर मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि निजी क्षेत्र तब तक निवेश नहीं करेगा जब तक कि उन्हें उचित माहौल और आधार उपलब्ध नहीं होगा.
सिब्बल ने जोर देकर कहा कि निजी क्षेत्र को शिक्षा और स्वास्थ्य संस्थान बनाने के लिए सस्ती दरों पर कर्ज दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘बैंकों को कहा जाना चाहिए कि वे शिक्षा संस्थानों को 20 से 25 साल के लिए कर्ज दें. कोई भी 7 साल के लिए 12 या 16 प्रतिशत की दर पर कर्ज नहीं लेगा.’ मंत्री ने योजना आयोग द्वारा शिक्षा वित्त निगम के गठन के प्रस्ताव को खारिज किए जाने पर नाराजगी जताई.
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