डॉ. साहब के साथ रजनीश के झा |
डॉ. रुपेश श्रीवास्तव वाकई में क्रांतिकारी ब्लोगर ही तो थे, एक धूमकेतु जो कब आया और कब छा गया किसी को पता ही नहीं चला. तमाम ब्लागर और पत्रकार के साथ लेखकों और लिक्खाडों की टोली को इस सरोकारी इंसान ने सोचनीय किया. क्रांति की ज्वाला रुपेश जी का केवल शब्दों तक सीमित नहीं था. व्यक्तिगत जिन्दगी में भी डॉ. साहब ने लैंगिक विकलांग (किन्नर) के लिए आधिकारिक लड़ाई लड़ी जो आज भी जारी है.
अपने डाक्टरी को पेशा न बना कर सामाजिक सेवा का स्वरुप देने वाले डॉ. रुपेश श्रीवास्तव हमेशा गरीब, मजलूम, बेसहारा और किन्नरों के लिए हमेशा तैयार रहते थे. नवी मुंबई में माफिया से अकेले दो दो हाथ लेने वाले बहादुर सेना नायक ने कभी परवाह नहीं की.
गत 8 मई को अचानक से डॉ. साहब को दिल का दौरा पड़ा, और कल 9 मई को हमारे प्रिय चहेते ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. डॉ. साहब का जाना हिंदी के ब्लॉग और वेब जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है जिसकी भरपाई मुश्किल है. शोकाकुल आर्यावर्त परिवार डॉ. रुपेश श्रीवास्तव को अश्रुपूरित श्रधांजलि अर्पित करता है.
1 टिप्पणी:
maut .
anjana ehsas.
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