गुजरात की एक अदालत ने ओड़ दंगे में 9 नौ आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने इस मामले में बाकी के 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। विशेष अदालत के न्यायाधीश आरएम सरीन ने नौ अभियुक्तों को हत्या (302) और आपराधिक षड्यंत्र (120बी) के आरोपों के तहत दोषी करार दिया।
ओडे़ गांव के मालवा भोगल इलाके में एक मार्च 2002 को अल्पसंख्यक समुदाय के तीन व्यक्तियों की हत्या कर दी गई थी। यह दंगे गोधरा में 27 फरवरी 2002 को ट्रेन जलाए जाने की घटना में राज्यभर में भड़की हिंसा के दौरान हुए थे। मामले में कुल 41 लोगों के खिलाफ रेहाना युसुफ भाई वोहरा की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था और आरोप तय किए गए थे। हादसे में जो लोग मारे गए उनके नाम आयशा वोहरा, नूरीबेन वोहरा और कादिरभाई वोहरा थे। सुनवाई के दौरान अदालत ने 67 गवाहों से पूछताछ की और अदालत के सामने 98 दस्तावेजी सुबूत पेश किए गए।
ओड़ गांव का यह दूसरा मामला है, जिसमें अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। पहले मामले में एक अन्य अदालत ने ओड़ गांव में गोधरा दंगों के बाद भड़की हिंसा के मामले में 18 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और पांच अन्य को सात वर्ष जेल की सजा सुनाई थी। इन हिंसक घटनाओं में 23 लोगों की मौत हो गई थी। अदालत ने जिन लोगों को सजा दी है उनके नाम हरीश पटेल, वसंत पटेल, लाला उर्फ नीलेश पटेल, टीना उर्फ महेश पटेल, मिमेश पटेल, प्रकाश उर्फ पाको पटेल, रितेश पटेल, अशोक पटेल और कीर्ति पटेल हैं।
सीबीआई के पूर्व निदेशक आर के राघवन की अध्यक्षता वाले विशेष जांच दल ने जिन नौ मामलों की जांच की थी, उनमें से दो अन्य मामलों में भी फैसला सुना दिया गया है। इनमें गोधरा ट्रेन हादसे से जुड़ा मामला भी शामिल है, जिसमें 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई और 20 को उम्रकैद की सजा दी गई। दूसरा मामला मेहसाणा जिले के सरदारपुरा गांव का है, जहां 31 व्यक्तियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई और 42 अन्य को दोषमुक्त कर दिया गया।
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