फर्जी पत्रकार से परेशान व्यापारियों की गुहार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 7 मई 2012

फर्जी पत्रकार से परेशान व्यापारियों की गुहार


तीर्थनगरी ऋषिकेश में पिछले काफी समय से तथाकथित पत्रकार बनकर लोगों को ब्लैकमेल व ठगे जाने के कारण जहां लोकतन्त्र का चैथा स्तम्भ कलंकित हो रहा है वहीं स्थानीय नागरिको मंेे भी उक्त पत्रकारों को लेकर भारी रोष है । जिन्होने स्थानीय प्रशासन को भी उक्त पत्रकारों के आतंक के विरूद्ध कार्यवाही कर निजात दिलाये जाने की मांग की है। 

चर्चा हेै कि नगर में आजकल यात्रा काल प्रारम्भ होते ही इलेक्ट्रानिक्स व प्रिंट मीडिया का अपने आप को पत्रकार बताकर दुकानदारों, बिल्डरों, सामाजिक व राजनेताओं के आगे कैमरे चमकाकर ब्लेक मेल किये जाने के मामले आए दिन सामने आ रहे हेैं । यह भी बताते चलें कि इस तरह के पत्रकार न तो किसी सरकारी व गैर सरकारी राजनीतिक कार्यक्रमों में दिखाई देते है और न ही सामाजिक व सरोकार से जुड़ी अधिकारियांे के सामने वाली उठाई जाने वाली समस्याओं के समय दिखाई पड़ते हैं। लेकिन जहां कोई भवन का निर्माण हो रहा हो या कोई जमीनों व आश्रमों से सम्बन्धित कोई मामले हो तो वहां कई ऐसी आईडीया लिए कैमरों के साथ आधा दर्जन लोग अपने आप को पत्रकार बताकर अवश्य दिखाई पड़ते है। ये पत्रकार अधिकारियों की आड़ में लोगो को ब्लैकमेल कर धन कमा रहे हैं। 

ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों बापूग्राम स्थित लोकल कोल्डडिंªक व जैकेट बनाने वाली फैक्ट्री तथा मुखर्जी मार्ग पर दुकान का निर्माण करने वाले एक व्यापारी नेता के यहां भी दिखाई दिया । जिसने ऋषिकेश के तमाम पत्रकारों व पुलिस के आगे भी लिखित तहरीर देकर इन कथित पत्रकारोें से जान छुड़ाने की गुहार लगाई । इन पत्रकारों को किसी समाचार पत्र व इलैक्ट्रिानिक मीडिया का पत्रकार न बताकर पुलिस ने उनके विरूद्ध कार्यवाही करने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ना ही उचित समझा । 

इतना ही नहीं आजकल यह पत्रकार साइकिलों पर अपने घर गैस के सिलेण्डर ले जा रहे हो या दुकान पर उनके पिछे कैमरे लेकर दौड़ पड़ते है और उनसे कुछ न कुछ सुविधा शुल्क के रूप में वसूल कर ही उनकी जान छोड़ रहे है। जिनसे छोटे दुकानदार भी काफी परेशान है जो कि किसी प्रकार अपने बच्चों का पेट पाल रहे हैं । कुल मिलाकर तीर्थनगरी में यात्रा सीजन में खुलने वाली अस्थाई दुकानों की तरह पत्रकार भी कुकरमुत्तो की तरह उत्पन्न हो गए हैं। जिससे पत्रकार ही नहीं लोकतन्त्र के चैथे स्तम्भ की लगातार गरिमा भी गिर रही है।


(राजेन्द्र जोशी)

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