पिंडरगंगा को अविरल बहने देने की मांग !!! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 25 मई 2012

पिंडरगंगा को अविरल बहने देने की मांग !!!

पिंडर को अविरल बहने दो - हमें सुरक्षित रहने दो, बांध कंपनी वापिस जाओ आदि नारांे के साथ देवाल ब्लॅाक में पिंडर घाटी से आये लोगों ने जुलुस निकाल कर बांध के विरोध में प्रदर्शन किया। देवाल ब्लॅाक में प्रदर्शन के बाद लोगो ने बांध का पुतला फंूका। भू-स्वामी संघर्ष समिति और माटू जनसंगठन के बैनर तले, पिंडर गंगा के पंचप्रयाग के निकट देवाल के प्राचीन शिवमंदिर में गांवो से प्रातिनिधिक रुप में आये लोगो ने बैठक की जिसमें बांध विरोध की लड़ाई को तेज करने का निणर्य लिया गया। उत्तराखंड के चमोली जिले में पिडंर नदी पर प्रस्तावित देवसारी जल-विद्युत परियोजना का शुरु से ही विरोध हो रहा है। देवाल को बचाने का भ्रम डालकर, परियोजना का बांध 90 मीटर से 35 मीटर करने का प्रचार किया गया। किन्तु इस बात को छुपाने की भी कोशिश की गई की परियोजना हेतु जो सुरंग पहले 7 किलोमीटर थी अब वो 18 किलोमीटर कर दी गई है। यह क्षेत्र भूकंपग्रस्त है और यहंा के गांवो में भूस्खलनों का सैकड़ों सालो का इतिहास रहा है। बांध की सुरंगे इन्ही गांवो के नीचे बन रही है। सरकार जिस नंदादेवी राजरात यात्रा को दूसरी कुभ्ंा मानती है। वह प्राचीन पवित्र यात्रा मार्ग भी इन्ही गांवों से होकर जाता है। 13 अक्तूबर 2009 व 22 जुलाई 2010 को आयोजित जनसुनवाईयों में लोगो का पूरा विरोध रहा। इसी कारण से 20 जनवरी 2011 को बांध कंपनी ने बैरिकेट लगाकर, जनता को दूर रखकर जनसुनवाई का नाटक पूरा किया। पिंडर की जनता के इस अपमान का यहंा पूरा विरोध धरने, रैली, प्रदर्शनों के रुप में लगातार चल रहा है। 3 अप्रैल 2011 को देश के विज्ञजनों के सामने हुई लोक की ‘‘जनसुनवाई’’ में पिंडर की जनता का पूरा विरोध सामने खुलकर प्रदर्शित हुआ है।

सरकार को लगातार पत्र भी भेजे गये है। विभिन्न समय पर भू-स्वामी संघर्ष समिति और माटू जनसंगठन के प्रतिनिधि मिले भी है। पिंडरगंगा घाटी में जहंा जनता बांध के विरोध में है वहीं बांध कंपनी हर तरह के हथकण्डे अपना कर बांध को आगे धकेलने का प्रयास कर रहे है। 15 मई, 2012 को पूर्ण डूब के गांव शोडिंग में जहंा सुरंग के लिये खुदाई शुरु की जा रही थी। वहंा एक कालू नाम का नेपाली मजदूर दबकर मारा गया। इसकी कोई जांच या पुलिस कार्यवाही नही हुई। वास्तव में प्रशासन को स्वंय इस पर संज्ञान लेना चाहिये था। जबकि ग्रामीणों के बांध का काम विरोध को दबाने के लिये स्वंय उपजिलाधिकारी श्रीमान नेगी दो दिन पहले आकर गये थे। थराली गांव में भी पुलिस का भय दिखाकर काम चालू कराने की कोशिशंे हो रही है।

रैली को संबोधित करते हुये मदन मिश्रा ने कहा की सरकार छोटी परियोजनाओं पर ध्यान ही नही दे रही है। स्थिति यह है कि चमोली जिले में ही उदाहरण के लिये 400 किलोवाट की थराली, 800 किलोवाट की कोठियाल सैंण, 750 किलोवाट की गोविंदघाट व 800 किलोवाट की तवोवन जलविद्युत परियोजनाये बंद है। असल में मामला भ्रष्टाचार से भी जुड़ा है। उन्होने शोडिग गांव में मारे गये मजदूर की मृत्यु की जांच की मांग की। महिपत सिंह कठैत ने कहा की पूरी घाटी बांध का विरोध कर रही है। जबरदस्ती बांध बनाने का विरोध किया जायेगा। हम बंाधों की भयानकता से घाटी को बचाने के लिये संघर्ष कर रहे है।

दिनेश मिश्रा ने कहा की पिंडरगंगा घाटी एक आध्यात्मिक नदी है। यह प्रमुख बात है कि राष्ट्रीय नदी गंगा की सहायक नदियों में पिडंरगंगा ही एक मात्र ऐसी नदी है जो अभी तक बांधी नही है। रैली को बलवंत आगरी, जीवन मिश्रा, उमेश, शोभन सिंह खत्री, मुन्नी देवी, गीता देवी, दीपा देवी ने भी संबोधित किया। अपने संबोधन में वक्ताओं ने कहा कि एक तरफ उत्तराखंड सरकार जनता की मांग कह कर केन्द्र सरकार से बांधो को खोलने की मांग कर रही है। तो वो बांध बद करने के लिये पिंडरगंगा घाटी की जनता की मांग क्यो नही सुनती? हमने तय किया है कि पिंडरगंगा व स्थानीय जनता की सुरक्षा और स्थायी विकास के लिये हमारा संघर्ष जारी रहेगा।


(राजेन्द्र जोशी)

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